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आज भागलपुर में मेरा आखिरी दिन है। पिछले दिनों हमने भागलपुर में रेल उत्सव कराया। जिसमे तीन नाटक का मंचन किया गया। पहल नाटक यतीन्द्र कुमार का लिखा हुआ गढ़हा था । दूसरा बासुकी पासवान द्वारा लिखित सुपेरफास्त था निर्देशक साथी सुरेश थे । तीसरा नाटक फ़िल्म अभिनेता और पटकथा लेखक कादरखान द्वारा लिखित अगर यही रफ़्तार रही टी का मंचन किया गया इसके निर्देशक थे बिरेन्द्र कुमार। कार्यक्रम की शुरुआत उप मंडल रेल प्रबंधक आर के मेहता और राजभाषा अधिकारी एम् कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर किया। शुरुआत कवि गोष्ठी से हुयी इस मौके पर अनिल जैसवाल, साथी सुरेश, अभय, दिनेश तपन और अनजानी शर्मा समेत कई कवियों ने अपनी कविता का पथ किया। दुसरे सत्र में शरन्य नृत्य कला मन्दिर भागलपुर द्वारा कई नाट्य प्रस्तुतुयाँ हुयी, फ़िर शुरू हुआ नाटक के मंचन का दौर। देर रात तक लोग हगालपुर रेलवे स्टेशन परिसर में जमे रहे। मंह सञ्चालन ॐ सुधा और अनिमा सिं किया जबकि स्वागत भासन पि के सिन्हा और धन्याद ज्ञापन संस्था के सांस्कृतिक सचिव बासुकी पासवान ने किया। इस मौके पर शहर की कई जानीमानी हस्तियाँ मौजूद थी। बिदित हो की यह रेलवे सांस्कृतिक मंच का यह चौथा आयोजन था। इस मौके पर ॐ सुधा द्वारा सम्पादित एक स्मारिका का भी बिमोचन किया गया.

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