सच्चे मुसलमान की दास्ताँ है ॥ माई नेम इज खान


सच्चे मुसलमान की दास्ताँ है ॥ माई नेम इज खान

जी हाँ, फिल्म शुरू होते ही फ्लेश बैक में चली जाती है और शुरू होती है। मुसलमान के सच्चे होने का धर्म का दर्शन । जो अंततः इस परिणति पर जाकर ख़त्म होती है की इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं अच्छे और बुरे । वो जो फिल्म में दिखाई गयी वो तो सबों ने देखा पर एक बात जो लोगों ने नहीं देखि। शायद लोगों को याद हो कुछ दिन पहले अख़बारों में एक खबर छपी थी । शाहरुख़ खान की बेटी ने अपने पापा शाहरुख़ को फ़ोन करके पूछा की पापा क्या हमें मुंबई छोरना होगा? इस सवाल के कई मायने हैं।

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