पिछले दिनों जब दिल्ली से भागलपुर जा रहा था, एक संभ्रांत एलिट क्लास की महिला वकील , जिनके पति भी पटना उच्च न्यायालय में ही वकील हैं, मेरे साथ वाली सीट पर पटना में बैठी, बातचीत शुरू हुयी तो पता चला वो सम मिश्र हैं, अपना नाम बताते वक्त उन्होंने मिश्रा शब्द पर बहुत जोर दिया. मेरा नाम पूछने पर हमने कहा जी ॐ उनको संतुष्टि नहीं हुयी, उन्होंने कहा पूरा नाम बताइए? ॐ सुधा मेरा पूरा नाम है. पर उनको तसल्ली नहीं हुयी उन्होंने फिर कहा जी वैसे तो पूछना नहीं चाहिए पर बाय कास्ट आपका सुनमे क्या है? ये है हमारे देश के बुध्हिजीवियों की मानसिकता . क्या एलिट क्लास का ये जातिवाद ज्यादा खतरनाक नहीं है?
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