हिन्दुस्तान के मंदिरों की सालाना आय लगभग २००० करोड़ रूपये से भी ज्यादा है. भला पत्थर की ये बेकार मूर्तियाँ इस अकूत धन दौलत का क्या करेंगी? जाहिर है मज़ा सदियों से देश के ब्रह्मन ही लूट रहे हैं..जब बिरला, अम्बानी और बच्हन जैसे लोग यहाँ माथा टेकते हैं तो आम आदमी की क्या औकात की इस अन्ध्बिश्वास के खिलाफ बोल सके..क्यूँ नहीं इन मंदिरों को तोड़कर गरीबों और दलितों के लिए बसेरा बना दिया जाय? आपका क्या विचार है ?
हिन्दुस्तान के मंदिरों की सालाना आय लगभग २००० करोड़ रूपये से भी ज्यादा है. भला पत्थर की ये बेकार मूर्तियाँ इस अकूत धन दौलत का क्या करेंगी? जाहिर है मज़ा सदियों से देश के ब्रह्मन ही लूट रहे हैं..जब बिरला, अम्बानी और बच्हन जैसे लोग यहाँ माथा टेकते हैं तो आम आदमी की क्या औकात की इस अन्ध्बिश्वास के खिलाफ बोल सके..क्यूँ नहीं इन मंदिरों को तोड़कर गरीबों और दलितों के लिए बसेरा बना दिया जाय? आपका क्या विचार है ?
मेरा विचार ये है कि ऐसे दलितो कों बंगाल कि खाड़ी में फ़ेंक देना चाहिए. मंदिर तों बनते रहे है अभी और बनेगे .मंदिरों कों अपने कमाए हुए धन से खुशी से दान जाता है ,तुम जैसे भिक्मंगो कों कुत्ते कि तरह रोटी दी तों जा रही है .आरक्षण की बैसाखी से भी अगर चल ना पा रहे हो तो इन्ही मंदिरों की सीधी पर अपने परिवार कों ले कर बैठ जाना. भूखे तों नहीं मरोगे
जवाब देंहटाएंsheeba agar tujhe paiso ki jyada jarurat ho to bata...abhi kuch saal to
जवाब देंहटाएंnahi to public toilets hi banva do...sadako par beshrmi to dekhne ko nahi milegi
जवाब देंहटाएंBAHUT SAhi likha hai...........sahmat hu omji............
जवाब देंहटाएंभीम सिंग जैसे लोग और इनकी सोच मुझे शर्म आती है और बहुत दुख भी होता है जहाँ मेरे प्रमाण पत्र मेँ मेरा धर्म हिन्दु है लेकिन गर्व होता है कि सदियोँ से कुरितयोँ से लड़ने वाले सतनामी हुँ जो "जजिया कर" और "जनेऊ" (ब्राह्मणोँ) के लिये औरंगजेब से विद्रोह कर बैठे थे । आज यही आमनवी लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ? औरंगजेब जब ब्रह्मणो को मार कर एक दिन मेँ एक मन जनेऊ तोल लेता था तभी खाना खाता था उस वक्त अगर हम सतनामी और पंजाबी भाई जनेऊ और कृपाण धारण कर विद्रोह नहीँ करते तो ये आज जीवित ही नहीँ होते भीम सिंग जैसे लोग और इनकी सोच मुझे शर्म आती है और बहुत दुख भी होता है जहाँ मेरे प्रमाण पत्र मेँ मेरा धर्म हिन्दु है लेकिन गर्व होता है कि सदियोँ से कुरितयोँ से लड़ने वाले सतनामी हुँ जो "जजिया कर" और "जनेऊ" (ब्राह्मणोँ) के लिये औरंगजेब से विद्रोह कर बैठे थे । आज यही आमनवी लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ? औरंगजेब जब ब्रह्मणो को मार कर एक दिन मेँ एक मन जनेऊ तोल लेता था तभी खाना खाता था उस वक्त अगर हम सतनामी और पंजाबी भाई जनेऊ और कृपाण धारण कर विद्रोह नहीँ करते तो ये आज जीवित ही नहीँ होते
जवाब देंहटाएंइन मंदिरो मेँ जाता कौन है?
जवाब देंहटाएं90% दान तो हम बहुजनोँ का ही
आप इन अमानवी लोगो से आप क्या आपेक्षा रखते हैँ?
क्या कोई इतना मुर्ख है जो सोने का अंड़ा देने वाली मुर्गी को अंड़ा न देने को कहेगा कमजोरी तो हम लोगो मेँ जो आप ही कर्ब खोदने के लिऐ इन मंदिरो मेँ जाते हैँ और आपनी बरबादी का जश्न, साल हर तैवहार मेँ, इन लोगो के साथ मनाते हैँ
बस इन मंदिरो मेँ जाना बंद कर दो और सारे हिन्दु पर्व मनान बंद कर दो फिर इनकी और आपनी स्थिति देखना