हिन्दुस्तान के दलित जाति के विद्यार्थियों के लिए सर्कार ने खज़ाना खोला ..एक बानगी देखिये पहली से छठी तक के बच्चों के लिए चालीस रूपये, छठी से आंठ्वी के लिए साठ रूपये और आठवीं से दसवीं तक के लिए पचहत्तर रूपये प्रतिमाह कपडे, किराया, खाना और किताबों के मद में ..ये उस देश की कहानी है जहाँ चालीस करोड़ रूपये का गुब्बारा उड़ाया गया वो भी खेल-खेल में..
हिन्दुस्तान के दलित जाति के विद्यार्थियों के लिए सर्कार ने खज़ाना खोला ..एक बानगी देखिये पहली से छठी तक के बच्चों के लिए चालीस रूपये, छठी से आंठ्वी के लिए साठ रूपये और आठवीं से दसवीं तक के लिए पचहत्तर रूपये प्रतिमाह कपडे, किराया, खाना और किताबों के मद में ..ये उस देश की कहानी है जहाँ चालीस करोड़ रूपये का गुब्बारा उड़ाया गया वो भी खेल-खेल में..
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