11 साल पहले कैसे मर गए साईं बाबाः तस्लीमा


11 साल पहले कैसे मर गए साईं बाबाः तस्लीमा

 आत्मा कभी मरती नहीं, सिर्फ शारीर बदलती है.... देखते है ये साईं तीसरा जन्म कब लेंगे ????
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8074161.cms
नई दिल्ली ।। बांग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सत्य साईं बाबा की मौत की खबर पर ऐसा ट्वीट किया कि साईं के भक्त उन पर टूट पड़े। सचिन ट्विटर पर तस्लीमा को लोगों ने असंवेदनशील बताते हुए उनकी मौत की कामना तक कर डाली। हालांकि नसरीन ने इन सबको आरटी के रूप में दर्ज किया और अधिकतर पर अपना कॉमेंट भी दिया। 

सिलसिला शुरू हुआ साई बाबा की मौत के थोड़ी ही देर बाद। तस्लीमा को उनकी मौत की खबर मिली तो उन्होंने ट्वीट किया, सत्य साईं बाबा नहीं रहे। उन्होंने कहा था कि वह 2022 में मरेंगे। बहुत जल्दी चले गए। 

इस ट्वीट के बाद ही उन्हें जवाब मिलने शुरू हो गए। बहुतों ने इसे असंवेदनशील बताया। नसरीन ने इन सबको ही नहीं, इस खबर पर दूसरे लोगों के ट्वीट को अपने अकाउंट से जारी किया ताकि बाकी लोग भी देख सकें। उदाहरण के लिए उन्होंने ऑप्टिमिस्टिक इंडी के इस ट्वीट को भी आरटी किया, किसी को उनके निधन पर उदास क्यों होना चाहिए ?वह 86 साल के थे। उन्हें मरने देना चाहिए। सचिन की हालत देखकर मैं बहुत निराश हूं। 

तस्लीमा ने यह भी लिखा, कितना भी अच्छा काम कर लें भोले-भाले लोगों को बेवकूफ बनाना और उनके सपनों का इस्तेमाल करना कभी जायज नहीं हो सकता। 

एक व्यक्ति ने तस्लीमा को जवाब दिया, आपकी असंवेदनशीलता देखकर मैं कहता हूं कि जिस दिन आप मरेंगी मुझे सबसे खुशी होगी। इसे आरटी करते हुए तस्लीमा ने लिखा, मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। 
बाद में ऐसी तमाम ट्वीट पर तस्लीमा ने लिखा, आप जितनी मर्जी मुझसे नफरत करें, मैं जब तक जिंदा हूं अन्याय और असमानता के खिलाफ असहिष्णु बनी रहूंगी। '

Sunday, 24 April 2011

आन्ना की सिविल सोसाएटी मतलब ...............आरक्षण की समाप्ति

आखिर दिख ही गया असली चेहरा .....................इस गाँधी के चेले (अन्ना हजारे ) का

कृषण की रासलीला भाग 1

 By Vinita Raga
महाभारत युद्घ में कृष्ण ने क्या प्रपंच रचा।

कृष्ण ने कहा, 'धर्म की संस्थापना के लिए मैंने जन्म लिया है।'

'परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।'

इसलिए महाभारत युद्घ धर्मयुद्घ कहा जाता है।

उसमें पांडवों का धर्म का पक्ष है और कौरवों का अधर्म का।

पर सोचें -उसके विभिन्न प्रसंग, जिनके सूत्रधार बने उस युद्घ में हथियार का प्रयोग न करने का संकल्प लिये,

कृष्ण। कौरवों के प्रथम सेनापति भीष्म ने नौ दिन तक पांडवों की सेना में भयंकर संहार मचाया।

भीष्म ने घोषणा की थी -

'पांडवों के रथी शिखंडी पर मैं हथियार नहीं चलाऊंगा; क्योंकि वह पूर्वजन्म में स्त्री था।

किसी स्त्री के ऊपर अस्त्र चलाना वीर के लिए वर्जित है, अधर्म है।'

जब तक भीष्म के हाथ में अस्त्र-शस्त्र थे, उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था।

तो कृष्ण का धर्म देखिये

कि युद्ध के दसवें दिन योद्धा भीष्म के विरूद्घ शिखंडी को सामने किया गया।

क्योंकि कृष्ण भीष्म के वचन को जानता था भीष्म ने यह देख अपने हथियार डाल दिए।

तब अर्जुन ने स्त्री रुपी शिखंडी के पीछे छिपकर अपने दृढ़प्रतिज्ञ पितामह को बाणों से बींध डाला।

किसने किया धर्म का पालन ?

भीष्म ने, जिन्होंने उसके पीछे प्रच्छन्न शत्रु होने पर भी प्रतिरोध नहीं किया, क्योंकि शिखंडी पर वार करना अधर्म था;

या अर्जुन ने, जिसने कृष्ण के कहने पर नीति-विरूद्घ स्त्री के पीछे छिपकर पीछे से अपने पितामह को युद्घभूमि में शर-शय्या प्रदान की?

जबकि दोनों जानते थे कि भीष्म ने घोषणा की थी -कि वो शिखंडी पर मैं हथियार नहीं चलायेंगे 

पाखंडी संत

by Anuj Kumar
साधु चरित सुभ चरित कपासू।
निरस बिसद गुनमय फल जासू॥
जो सहि दुख परछिद्र दुरावा।
बंदनीय जेहिं जग जस पावा॥ (३)
भावार्थ:- साधु पुरुषों का चरित्र कपास के समान पवित्र होता है, जिसका फल बिना रस का विशुद्ध और गुणकारी होता है। इसी प्रकार साधु पुरुष स्वयं दुख सहन करके लोगों के दोषों को अपने गुणों से आच्छादित कर देते हैं, जिसके कारण वह संसार में सभी के वंदनीय होकर यश प्राप्त किया करते हैं।
               भारत के धर्मशास्त्र-रचयिताओं ने गुरु की महिमा की भूरि भूरि प्रसंशा की है।संतो की महिमा न्यारी है संसार के ताप से तप्त लोगों को वे शीतल छाया प्रदान करते है; चैन, आराम और सुकुन देते है। मानव का एक वर्ग – बहुत बडा वर्ग – ऐसा है जो संतो के बाह्य चमत्कारों से चकाचौंध हो जाता है, किन्तु कई संत पोंगा पाखंड दिखाकर भारतीय संस्कृति पर कलंक बन गए हैं।ऐसे संतों से सावधान रहना है

पाखंडी बाबा भीमानंद उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी 
इच्छाधारी कहने वाला पाखंडी बाबा भीमानंद उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी पर अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट चलाने के आरोप हैं।  जिसके तार कोलकाता से लॉस वेगास तक फैले थे। भगवा चोले की आड़ में इस रास्ते से इसने करोड़ों के वारे-न्यारे किए।  इसके खिलाफ पहले से 5 केस दर्ज हैं। जिनमें से 2 में कोर्ट ने खुद ब खुद संज्ञान लिया। इसके खिलाफ संगठित अपराध में शामिल होने के आरोप हैं।इस बाबा ने धर्म एवं आध्यात्म की आढ़ में सेक्स रैकेट चलाकर पिछले दस साल में 25 हजार करोड़ की कमाई की है।इच्छाधारी बाबा का पिता बांदा के दस्यु सरगना ददुआ का सहयोगी रहा और उस पर हत्या और दहेज उत्पीड़न के मुकदमें चल रहे हैं।
भीमानंद के सेक्स रैकेट में करीब 600 लड़कियां शामिल थीं। इनमें एयर हॉस्टेस, मॉडल से लेकर एमबीए की छात्रा और अभिनेत्री बनने की तमन्ना रखने वाली यवुतियां थीं। इस रैकेट में उसके साथ कई दलाल और कॉलगर्ल भी शामिल थीं।
दिल्ली के उसके मंदिर में 14 कमरे, सीसीटीवी कैमरे और एक गुफा भी है। जांच से पता चला है कि दिल्ली की सीआर पार्क, आरके पुरम, भिखाजी कामा प्लेस और सफदरजंग एन्क्लेव जैसी पॉश कॉलोनियों में भी वो रैकेट चलाता है। उसके ग्राहकों में दिल्ली आने वाले धनी व्यवसायी और ज्वेलर होते थे, जो एक लाख रुपए रोज तक भुगतान कर सकते थे।

बाबा की काली कमाई के पांच तरीके
इच्छाधारी बाबा भीमानंद के गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस बाबा की काली कमाई के पांच तरीकों का खुलासा किया है। इन 5 तरीकों से ही भीमानंद ने करोड़ों की कमाई की है।
राजीव रंजन द्विवेदी यानी एक मामूली गार्ड से रसूखदार करोड़पति बाबा तक का सफर। ऐसा ढोंगी जिसके इशारे पर नेता से लेकर बडे़-बडे घरानों के लोग नाचते हैं। ये बाबा बना कैसे? करोडों का मालिक कैसे बना? इसका खुलासा दिल्ली पुलिस ने किया। दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में बाबा की काली कमाई के 5 तरीकों को उजागार किया है।

तरीका नबंर-1
सेक्स रैकेट
बाबा की कमाई का पहला जरिया देह व्यापार। सेक्स रैकेट के धंधे में राजीव रंजन उर्फ भीमानंद देखते ही देखते दिल्ली का सबसे बड़ा दलाल बन गया। इस धंधे में भीमानंद हाई प्रोफाइल मॉडल से लेकर मिडिल क्लास की लड़कियों को खुद ग्राहकों को मुहैया करता था। काली कमाई का सारा हिसाब किताब वो खुद रखता था।

तरीका नंबर 2
फाइनेंस का काम
बाबा की कमाई का दूसरा जरिया फाइनेंस का काम है। भगवा पहन कर मायामोह से दूर रहने की सीख देने वाला भीमानंद फाइनेंसर भी था। जो अपने भक्तों को 5 से 7 फीसदी की दर से ब्याज पर पैसे देता था। भीमानंद केवल गरीबों को सूद पर पैसे देता था। इसे वसूलने के लिए इसने टीम बना रखी थी।

तरीका नंबर 3
डोनेशन
भगवा चोला पहनने के बाद भोगानंद ने डोनेशन के माध्यम से खूब कमाई की। आस्था के नाम पर लोग दान और चंदे के रूप में बड़ी रकम दे जाते।

तरीका नंबर 4
मंदिर निर्माण और प्रवचन
भगवा पहन कर काली करतूत करने वाले भीमानंद ने कमाई के लिए मंदिर बनवाने की योजना बनाई थी। योजना के मुताबिक साईं के नाम पर ये मंदिर देश भर में बनने थे। भीमानंद का मानना है कि इन दिनों साईं के नाम पर लोग ज्यादा से ज्यादा चंदा और मदद दे सकते हैं। इसके लिए भीमानंद जगह-जगह प्रवचन करता और भजन संध्या का आयोजन करता।

तरीका नंबर 5
भजन करके बेवकूफ बनाना
पैसे कमाने का बाबा का एक और जरिया रियल एस्टेट था। इस कारोबार में भीमानंद नया था। कुछ महीने पहले ही उसने इस कारोबार में कदम रखा था। सूत्रों की माने तो भीमानंद बिल्डरों से मिलकर रियल एस्टेट सेक्टर में पैसों का निवेश करता था।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बाबा की कमाई के तरीकों का तो पता कर लिया है लेकिन अभी भीमानंद के बारे में कई और खुलासे होने बाकी हैं। जैसे-जैसे जांच बढ़ेगी उम्मीद है और भी चौंकाने वाले खुलासे होंगे।

नाम- स्वामी नित्यानंद
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाखंडी नित्यानंद


पाखंडी नित्यानंद रासलीला में मग्न

बाबा रामदेव और पाखंडी नित्यानंद
दिन में शांति और प्रेम की सीख देने वाला 32 साल का ये बाबा शाम ढलते ही बेडरूम में आसक्ति की सीख देने लगता है। और सामने होती हैं दो महिलाएं जिनमें एक तमिल अभिनेत्री है। ये बाबा दावा करता है कि बीस लाख भक्तों का। उसके भक्तों में नेता भी हैं अभिनेता भी।
लेकिन उसी के एक भक्त को बाबा की हरकतें बर्दाश्त नहीं हुईं और उसने बाबा के बेडरूम में कैमरा लगा दिया। नतीजा- एक टीवी चैनल ने वो सीडी चला दी और बाबा का भगवा चोला तार-तार हो गया। फिर क्या था बैंगलोर से करीब 50 किलोमीटर दूर 29 एकड़ में फैले बाबा के आश्रम में बवाल शुरू हो गया, बाबा के पोस्टर और होर्डिंग पर जूते-चप्पल बरसाए जाने लगे।
तमिलनाडु के थिरुनामलाई के रहने वाले राजशेखर उर्फ स्वामी नित्यानंद के प्रवचनों की सीडी तमिलनाडु और कर्नाटक में काफी मशहूर थी। लेकिन नए वीडियो में बाबा का रूप देखकर लोग सकते में हैं। आरोप कर्नाटक में जमीन हथियाने का भी लगा। लेकिन अब तक बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया। वो कैमरे से बच रहा है, इस वीभत्स सच से बच रहा है। भगवान को दिल में बसाने का दावा करने वाला ये बाबा अब जनता से बचता फिर रहा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाखंडी नित्यानंद

इस पूरे मामले में अभी तक स्वामी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हे लेकिन यह बात गुजरात के लिए इस लिए खास हो जाती है क्योकि गुजरात के मुख्यमंत्री इस संत को बहुत पहले से जानते हैं और यह हम नहीं कहते खुद मोदी जी कह चुके हैं.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाखंडी नित्यानंद


बात कुछ दिन पहले की है. स्वामी जी का एक प्रवचन वड़ोदरा में भी हुआ था जहां गुजरात के मुख्यमंत्री मुख्य मेहमान थे. यह कार्यक्रम ९ सितम्बर २००९ को वड़ोदरा में हुआ था जिसमें मोदी जी ने स्वामी नित्यानंद की एक पुस्तक (जीवन आनंद) विमोचन किया था. इस मौके पर नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इन्हें मैं बहुत पहले से जनता हूं. इनके बंगलौर आश्रम में भी जा कर आया हूं. इन स्वामी जी तारीफ़ में मोदी ने कहा था कि इस समय जितने युवा संत हैं उनमें इनका स्थान बहुत ऊपर है.  मोदी जी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि इनकी विदेश यात्रा में भी में किसी न किसी तरह जुड़ा रहा हूं.
                    गुजरात के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बालिकाओं की शिक्षा के लिए संत ने आखिर राज्य सरकार को दो लाख रूपये क्यों दिये? ज्ञात हो कि उसी कार्यक्रम में उक्त संत नित्यानंद ने नरेन्द्र मोदी को दो लाख रूपये का चेक दिया था ताकि राज्य में लड़कियों की शिक्षा बेहतर हो सके. उस वक्त मोदी ने स्वामी जी की तारीफ करते हुए कहा था कि यह अकेले ऐसे संत हैं जो किसी राज्य सरकार को लड़कियों की शिक्षा के लिए धन दे रहे हैं.

नाम- कृपालु जी महाराज
 
अय्याश व् चोर बाबा कृपालु महाराज
इस कथित धर्म ध्वजावाहक संत कृपालु महाराज की संतई का भांडा पहली बार मई 1991 में उस समय फूट गया जब इस कथित धर्माचार्य को लड़कियों का अपहरण करने का ही आरोप नहीं लगा बल्कि लड़कियों के साथ जबरिया बलात्कार करने के आरोप भी लगा.कृपालु पर मई, 2007 में त्रिनिदाद और टोबैगो में एक 22 साल की युवती के साथ बलात्कार का आरोप लगा. इस आरोप में जगतगुरु कृपालु जी महाराज के विश्वश्त सहयोगी प्रिया शरण महाराज को नागपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था।
जरा सोचिए,
क्या किसी व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति ब्यभिचारी-बलात्कारी मानसिकता के बीच सम्भव है?
विशुद्ध रूप से आध्यात्म के रास्ते पर चलकर क्या करोड़ों-अरबों रूपयों की अचल सम्पत्तियों का अम्बार लगा देना संभव है ?
अपने मूल नाम के साथ दस उपमाएँ लगाकर आज तक क्या कोई योग्य बन सका है?
अपने को श्रीकृष्ण का अवतार बताकर किसी के साथ बलात्कार करना क्या किसी धर्मात्मा का कार्य हो सकता है?
पुत्री समान अपनें ही शिष्याओं के साथ बलात्कार करने वाला बहुरूपिया कपटी संत क्या पूजनीय हो सकता है?
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के मनगढ़ कस्बे (गाँव) में 1922 में पैदा हुए राम कृपाल त्रिपाठी के विषय में तब किसी ने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि आगे चलकर यही राम कृपाल त्रिपाठी न सिर्फ ‘बाबा बाजार’ में अपनी बुलंदी का परचम लहराएगा बल्कि सारे कु-कर्मों को सफलता पूर्वक अंजाम देते हुए अरबों रूपये की अचल सम्पतियों का मालिक भी बन बैठेगा।
नाम में कृपा लेकिन काम में सिर्फ पाखंड। उत्तर प्रदेश के मनगढ़ में आश्रम में मुफ्त के बर्तन और पैसे बंटवाने के चक्कर में 63 लोगों की मौत का जिम्मेदार। जुबान पर धर्म की बातें, श्लोक और सत्य के इरादे लेकिन कर्म में घोर अधर्मी। मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले कृपालु जी महाराज की कृपा हुई और 63 बेगुनाह महिलाओं और बच्चों को इस दुनिया से ही मुक्ति मिल गई। बाबा के आश्रम में मची भगदड़ में कुचल कर मारे गए वो और बाबा की आंखों से अफसोस का एक आंसू तक न टपका। उलटे बयान दिलवा दिया कि जो लोग मारे गए उन्हें वक्त ने मारा।
इस कलियुगी कथित धर्माधिकारी के झूठ एवं फरेब का भांडा उस समय फूटा है जब साक्ष्यों के अनुसार जिला प्रशासन ने इन पर 3 करोड़ अस्सी लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। वृंदावन के कृपालु महाराज एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। मथुरा के कलेक्टर डी.सी. शुक्ला ने कृपालु महाराज की संस्था जगदगुरु कृपालु कुंज परिषद ट्रस्ट से तीन करोड़ 80 लाख रूपये जुर्माने के रूप में वसूलने का आदेश दिया है।
  
नाम- बाबा राम रहीम
बलात्कारी बाबा राम रहीम
इनकी हरकतें ऐसी कि पंजाब और हरियाणा नफरत की आग में झुलस उठे। बाबा राम रहीम ने सिखों की धार्मिक भावनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कहा गया कि गुरू गोविंद सिंह की नकल कर बाबा ने अपनी पोशाक तैयार कराई। फिर क्या था कई दिनों तक पंजाब-हरियाणा में तलवारें खिंचीं रहीं। हर तरफ हंगामा शुरू हो गया। विवादों से डेरा बाबा का नाता बहुत पुराना है। -बाबा गुरमीत राम रहीम पर डेरा की शिष्याओं से बलात्कार का आरोप लगा। जांच टीम को डेरा बाबा के यहां एक गुफा भी मिली। आरोप है कि बाबा राम रहीम ने इसी गुफा में शिष्याओं से बलात्कार किया। यही नहीं आरोप ये भी है कि जब ये खबर अखबार में छाप दी गई तो उसका कत्ल करा दिया गया। इस हत्या का आरोप भी बाबा राम रहीम पर लगा। हत्या और बलात्कार के केस के अलावा बाबा राम रहीम पर गांव के किसानों की जमीन हथियाने का भी आरोप लगा। राम रहीम ने अदालतों में चल रही तमाम अदालती कार्रवाई पर भी असर डालने की कोशिश की। पूरा प्रशासन बाबा के चलते अपनी नींद उड़ाए रहा। लेकिन खुद राम रहीम आराम से बैडमिंटन खेलते रहे।

नाम- आसाराम बापू
आसाराम बापू तांत्रिक और हत्यारा

विवादों से बाबाओं में बापू नाम से जाने जाने वाले बाबा का भी नाता है। आसाराम पर आश्रम में काला जादू करने से लेकर लोगों की जमीन हड़पने तक के आरोप लगे हैं।
गुजरात सरकार और पुलिस को खुली चुनौती देने की हिम्मत आसाराम बापू के ही बूते की बात है। भले ही उनपर हत्या जैसा संगीन मामला दर्ज हो। भले ही सुप्रीम कोर्ट तक से उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी हो। लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने की ताकत किसी में नहीं। तमाम आरोपों से घिरे आसाराम बापू के हौसले फिर भी बुलंद रहते हैं।
-आसाराम बापू पर अपने एक पूर्व साधक राजू चंडोक पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज किया था।
-चंडोक ने आश्रम में दो बच्चों की रहस्यमय तरीके से हुई मौत के मामले मे बापू के खिलाफ गवाही भी दी थी
-आसाराम पर आश्रम में काला जादू करने का भी लगातार आरोप लगता रहा है
-इसके अलावा गुजरात के तमाम शहरों में जमीन कब्जा करने का भी आरोप है।
इस वक्त जस्टिस त्रिवेदी कमीशन आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में दो बच्चो की मौत की जांच कर रहा है। आश्रम में काले जादू और उससे जुड़े सबूत भी पेश किए जा चुके हैं। लेकिन हुआ कुछ नहीं। फिलहाल गुजरात पुलिस आसाराम पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है।

नाम- सत्य साईं बाबा
बलात्कारी बाबा 
 अस्सी के दशक में स्वामी प्रेमानंद को बलात्कार एवं यौन प्रकरणों के उजागर होने पर उसे जेल की हवा खानी पड़ी थी। सत्य सांई बाबा बने इस तथाकथित बाबा पर बच्चों के समलैंगिक और युवा शिष्यों के समलैंगिक शोषण के कई आरोप लगे।त्रिची के साईबाबा के नाम से प्रसिद्ध प्रेमानंद को १९९४ में कई आपराधिक मामलों के बाद दोहरे उम्र कैद की सजा सुनाई थी. उसके राजनीतिक सम्बन्ध काफी ऊँचे बताये जाते हैं. उस पर बलात्कार के कई आरोप हैं, एक इंजीनियर ने जब आश्रम की गतिविधियों पर ऊँगली उठाई तो आरोप हैं कि प्रेमानंद ने उसकी हत्या कर दी थी

नाम- ज्योतिषि स्वामी अमृतानंथचैतन्य उर्फ संतोष माधवन
नाबालिक से बलात्कार 
 
संतोष माधवन को इंटरपोल की मदद से आँध्रप्रदेश पुलिस ने दो साल पहले गिरफ्तार किया था, उस पर दुबई के एक बड़े व्यापारी ने ५० लाख रूपए ठगने का मामला दर्ज करवाया था. माधवन ने इस व्यापारी को स्वामी अमृत चैतन्य बनकर उससे कहा था कि उसके राज्य सरकार और प्रशासन में अच्छे सम्बन्ध हैं,
केरल में एक स्वयंभू धर्मगुरु और भविष्यवक्ता स्वामी अमृतानंथ चैतन्य उर्फ संतोष माधवन को यहां की एक अदालत ने मंगलवार को नाबालिग से बलात्कार और यौन शोषण करने का दोषी करार दिया था।ज्योतिषि स्वामी अमृतानंथचैतन्य उर्फ संतोष माधवन को बलात्कार व यौन शोषण का दोषी ठहराते हुए 16 वर्षो की जेल की सजा सुनाई थी।
धर्मगुरु के फ्लैट से बड़ी संख्या में पोर्नोग्राफिक फिल्मों के सीडी एवं शेर की खाल बरामद हुए। गांजे के सेवन एवं अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहने संबंधित कई मामले दर्ज हैं। जिन पर सुनवाई चल रही है।

नाम- शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती  
हत्यारा
तमिलनाडु पुलिस के एक विशेष दल ने २००४ में शंकराचार्य सरस्वती को  आंध्र प्रदेश के महबूबनगर ज़िले में गिरफ़्तार किया था.
शंकराचार्य सरस्वती पर कांचीपुरम के एक मंदिर के एक कर्मचारी की हत्या में लिप्त होने का आरोप है.
शंकररामन नामक इस कर्मचारी की हत्या सितंबर में तमिलनाडु के कुड्डलोर नामक जगह पर की गई थी.
काँची कामकोठी पीठ का 69 वाँ शंकराचार्च बनने से पहले जयेंद्र सरस्वती का असली नाम सुब्रहमन्यम था.

नाम- नेमिचंद्र जैन उर्फ चंद्रास्वामी
नेमिचंद्र जैन उर्फ चंद्रास्वामी 
 धन धन वाले बाबा,हथियारों की तस्करी से लेकर राजीव गांधी की हत्या में संलिप्त होने के आरोपों और शंकाओं के चलते चर्चा में रहे।लंदन के भारतीय व्यापारी लखू भाई पाठक को ठगने के इल्जाम में और उनसे पी वी नरसिंह राव के नाम पर पैसे वसूलने के मामले में चंद्रास्वामी को उनके स्वयं घोषित शिष्य नरसिंह राव ने ही मजबूरी में जेल भिजवाया था।

नाम-ढोंगी बाबा 
 
 मुजफ्फरनगर के मुहम्मदपुर रायसिंह बुढ़ाना निवासी महिला जो अपने पति के इलाज मंे थक-हारकर माधवपुरम स्थित एक मंदिर में अपनी आखिरी आशा लेकर आयी थी। वहां उसके अनुसार उसके साथ बाबा यानी पुजारी ने दुष्कर्म किया। पुष्टि होने पर उसकी रिपोर्ट भी दर्ज की गई।

नाम-ढोंगी बाबा 2
 थाना गंगोह जिला सहारनपुर के ओमप्रकाश ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि वहां स्वरूपानंद सरस्वती आश्रम में रह रहे बाबा लभपतिनाथ ने उनकी 14 वर्षीय पुत्री को अगवा कर लिया है। साथ ही बाबा के ऊपर अन्य आरोप भी लगाए गए।

नाम-ढोंगी बाबा 3

ढोंगी बाबा
राजकोट के बच्चू बाबा जो अपने को सांई का अवतार बताते हैं उनकी भी पोल खुली और आरोप था कि ईलाज के नाम पर धोखाधड़ी करते थे।


आज बाबा उड़न खटोलों में उड़ रहे हैं। लंबी-लंबी एसी गाड़ियों में चल रहे हैं। कुटिया तो है पर कुटिया बाथरूम तक एयर कंडीशनर है। उसी तरह से आत्मिक शांति के नाम पर सबकुछ भक्त का ले लेना और उससे कहना कि बच्चा दुनियादारी छोड़ो, पर क्या ये बाबा खुद उस दुनियादारी से परे हैं? आज जरूरत है कि हमें देख, समझकर अपना गुरू चुनना चाहिए। भक्ति में इतने अंधे न हों कि सबकुछ न्यौछावर कर दें। यहां पर यह कहना प्रासंगिक है कि जो शक्ति बड़े-बड़े बाबाओं में है, वह शक्ति आप में, हम में और हर एक में है सिर्फ उसे जागृत करना है।
इस लिए कहा गया है कि-
कस्तूरी कुंडल बसे, युग ढूंढ बन माहि,
यानि कस्तूरी तो हिरन की नाभी में ही है, पर हिरन उसे पूरे जंगल में ढूंढ़ता फिरता है यही हम मनुष्यों के साथ भी है कि शांति या आत्म-संतोष हमारे अपने में ही निहित है। उसे दूसरों के सहारे से ढूंढ़ना अक्सर व्यर्थ ही जाता है।





हमारी शिक्षा व्यवस्था केवल बहुरास्ट्रीय कंपनियों के लिए सस्ते कर्मचारी बना रही है .....कोई ऑस्टिन या मार्क जुकरबर्ग नहीं


Source: विजय मनोहर तिवारी  
http://www.bhaskar.com/article/NAT-365-days-125-exam-45-years-2047605.html?HT2
नई दिल्ली शिक्षा आजादी के बाद से शिक्षा में सुधार के लिए बनी 15 से ज्यादा कमीशन-कमेटियां। हजारों पेज की रिपोर्टे। हायर एजुकेशन की 16 नियामक संस्थाएं। सभी चाहते हैं कि सुधार हो। लेकिन कैसे? शिक्षा बनाम परीक्षा पर एक खोज-खबर।
राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट की हर साल 125 प्रवेश परीक्षाएं। यानी हर तीसरे दिन एक परीक्षा। इनके अलावा प्रदेश स्तर पर भी परीक्षाएं। जितनी पढ़ाई उससे ज्यादा परीक्षाएं। हर साल बारहवीं करने वाले 20 लाख छात्रों के लिए एक अच्छी खबर- उन्हें परीक्षाओं की इस बाढ़ से मिल सकती है आजादी। बशर्ते प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपनी साइंटिफिक एडवाइजरी कौंसिल के प्रमुख सीएनआर राव की बात सुनें।प्रधानमंत्री को हाल ही में लिखे पत्र में राव ने सुझाव दिया है कि छात्रों को बार-बार की परीक्षाओं से निजात मिलनी चाहिए।
उनका कहना है कि हमें शिक्षा में लर्निग (सीखने) पर ज्यादा जोर देना चाहिए न कि परीक्षा पर। केंद्र ने इस दिशा में पहला कदम उठा भी लिया है। सीबीएसई ने दसवीं तक की परीक्षाएं ऐच्छिक कर दी हैं। लेकिन ऐसे छात्रों के लिए भविष्य में भारी मुश्किल खड़ी होने वाली है। अब उन्हें बारहवीं के बाद एकमुश्त प्रवेश परीक्षाओं की बाढ़ को झेलना होगा। शिक्षाविद् डॉ. श्यामा चोना कहती हैं कि सिर्फ स्कूलों में परीक्षाएं बंद करने जैसे छोटे-मोटे कदम नाकाफी हैं। पूरी शिक्षा व्यवस्था में बुनियादी बदलाव की जरूरत है।
दिल्ली विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएं बदलाव तो ला रही हंै लेकिन एकदम उल्टा। 80 कॉलेजों के नेटवर्क वाली यह यूनिवर्सिटी सेमेस्टर प्रणाली लागू कर सालाना परीक्षा की जगह हर छह महीने में इम्तिहान लेगी।

दैनिक भास्कर ने देश की शीर्ष शिक्षा संस्थानों से जुड़े रहे शिक्षा विशेषज्ञों से

एक ही सवाल किया-हमारी शिक्षा व्यवस्था का मॉडल क्या है और उसे कैसा होना चाहिए? लेकिन किसी के पास इसका एक जवाब नहीं है। सबके अपने अलग आकलन हैं।

प्रो. यशपाल

पूर्व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोगबंद करें संस्थान
सुधारों की रफ्तार बेहद धीमी है, बिगाड़ तेजी से हो रहे हैं। मैंने सिफारिश की कि विश्वविद्यालयों को आजादी मिलनी चाहिए। उन पर भरोसा करना चाहिए। पढ़ाने का काम उनका है। यूजीसी, एआईसीटीई और एमसीआई जैसे संस्थानों की कोई जरूरत नहीं है।
जे.एस. राजपूत
पूर्व निर्देशक, एनसीईआरटीसुर भी जुदा-जुदा
शिक्षा का विचित्र मॉडल है यहां। कंेद्र में कुछ कदम उठते हैं, राज्य अलग राग अलापते हैं। यही हाल स्कूली परीक्षाओं को लेकर है। दिल्ली में नगर निगम के 60 स्कूल टेंटों में चल रहे हैं, जबकि यहां 77 हजार करोड़ रुपए कॉमनवेल्थ गेम में खर्च हो गए।

विजय वर्मा
सलाहकार, आंबेडकर विवि, दिल्लीएक ही परीक्षा हो
प्रतिष्ठापूर्ण प्रवेश परीक्षाओं की बुनियाद : कम समय में ज्यादा सवालों के सही जवाब का टेस्ट। शिक्षा व्यवस्था परीक्षाओं के शिकंजे में है। एक ही परीक्षा होनी चाहिए, लेकिन सब पूरी तैयारी से शामिल हो सकें, इसकी सुविधाएं गांव-शहरों में बराबर होनी चाहिए।
प्रतिष्ठापूर्ण प्रवेश परीक्षाओं की बुनियाद : कम समय में ज्यादा सवालों के सही जवाब का टेस्ट। शिक्षा व्यवस्था परीक्षाओं के शिकंजे में है। एक ही परीक्षा होनी चाहिए, लेकिन सब पूरी तैयारी से शामिल हो सकें, इसकी सुविधाएं गांव-शहरों में बराबर होनी चाहिए।रिसर्च में क्यों जीरो
पूरा फोकस परीक्षाओं पर, नॉलेज क्रिएशन पर नहीं। यही वजह है कि उच्च शिक्षा में बेहतर गुणवत्ता के रिसर्चर सामने नहीं आ रहे। लाखों युवा उच्च शिक्षा में, लेकिन मौलिक चिंतन का अभाव। मौजूदा मॉडल बाजार के लिए सस्ता श्रम उपलब्ध कराने में योगदान दे रहा।


कितनी पढ़ाई, कितने इम्तिहान : तीन देशों पर एक नजर
भारत
शिक्षा- अंग्रेजी हुकूमत की अधकचरी व्यवस्था। नेताओं, नौकरशाहांे का हस्तक्षेप। मौलिक चिंतन, मूल्य नदारद। एकरूपता नहीं।
परीक्षा प्रणाली- सिर्फ अधिक अंकों पर आधारित। सोचने-समझने की सामथ्र्य शून्य। डिग्री पर जोर।
नतीजा- नौकरियों की अंधी दौड़। सस्ता श्रम मुहैया कराने का जरिया। रिसर्च में पीछे। समाज से सरोकार घटे।
अमेरिका
शिक्षा- प्रतिभा सम्मान। मौलिक विचारों का स्वागत। नॉलेज क्रिएशन पर फोकस। रिसर्च को प्राथमिकता। राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं।
परीक्षा प्रणाली- उच्च शिक्षा के लिए कॉमन टेस्ट। स्कूलों में सतत मूल्यांकन। अंतिम परीक्षा नहीं।
नतीजा- दुनिया भर में रिसर्च में अव्वल। हर विषय में हर साल अनगिनत उपलब्धियां।
ब्रिटेन
शिक्षा- टीचर-स्टुडेंट्स में आपसी संवाद की परंपरा। रचनात्मक गतिविधियों का मॉडल। हर विवि-कॉलेज का ट्रेनिंग सिस्टम मजबूत।
परीक्षा प्रणाली- कॉमन एडमीशन टेस्ट। 80 साल पहले अंक प्रणाली खत्म। सतत मूल्यांकन पद्धति।
नतीजा- दिलचस्पी के विषय में बढ़ने के अनगिनत अवसर। रिसर्च, नए विचार और नई अवधारणाएं।
45 साल में 3 बड़े कदम: पहुंचे कहीं नहीं
कोठारी आयोग, 1966
सिफारिशें - देश में समान स्कूल व्यवस्था और परीक्षा प्रणाली में बदलाव।
क्या हुआ- स्कूल व्यवस्था सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में बंटी। सरकारी शिक्षा के सबसे बुरे हाल। परीक्षा प्रणाली लगातार जटिल हुई।
यशपाल कमेटी, 1993
सिफारिशें - बस्ते का बोझ हलका करो, स्कूलों में रचनात्मक और खुशगवार माहौल दो।
क्या हुआ- कपिल सिब्बल ने जून 2009 में कहा कि सौ दिनों में यशपाल कमेटी की सिफारिशें लागू करेंगे। रफ्तार बेहद धीमी।

भारत ऐसा देश जहा पर चोरों ,डाकुओ को सजा नही दी जाती बलिक भगवान बना कर उनकी पूजा की जाती है


सत्‍य साई के चमत्‍कार के साथ जुड़े थे विवाद भी, यौन शोषण तक के आरोप




Source: dainikbhaskar.com  
नई दिल्‍ली. सत्‍यनारायण राजू ने 14 साल की उम्र में ही खुद को भगवान (शिरडी के साईं बाबा) का अवतार घोषित कर दिया था। उसके बाद वह घर छोड़ गए। चार साल बाद लौटे तो पुट्टापर्थी में पहला आश्रम बनाया। तब से साईं बाबा ने ऐसा अध्यात्मिक साम्राज्य बनाया जिसकी शाखाएं 167 देशों में फैली हैं। बाबा ने दर्शन दिया कि मैं भगवान हूं, तुम भी भगवान हो। फर्क इतना है कि मुझे यह मालूम है, तुम्‍हें नहीं।


सत्य साईं के इस रूप में चमत्कार भी हैं विवाद भी। वह कैंसर के मरीजों का इलाज चुटकियों में करते थे, चलने में लाचार लोगों को दौड़ा देते। इन चमत्‍कारों से उनके भक्‍तों का उन पर अटूट विश्‍वास बना। 


तर्कशास्त्रियों ने बाबा के चमत्‍कारों को हाथ की सफाई बताया। जादूगर पीसी सरकार ने उनके चमत्‍कार को जादू बता कर चुनौती दी। उन्‍होंने बाबा को आमना-सामना करने की चुनौती दी। हालांकि यह आमना-सामना कभी नहीं हुआ। पर उनके भक्‍तों को कभी इस पर यकीन नहीं हुआ। सरकार ने साईं की ही तरह हवा से भभूत और सोने की जंजीरनिकाल कर दिखा दी थी। इसके बाद भक्तों ने सरकार को धक्के मार कर आश्रम से बाहर कर दिया था। 

साईं के भक्‍तों को उम्‍मीद थी कि फिर एक चमत्‍कार होगा और साईं अस्‍पताल से ठीक होकर लौटेंगे। यह उम्‍मीद इसलिए भी थी क्‍योंकि बाबा ने खुद भविष्‍यवाणी की थी कि वह 96 साल से पहले देह त्याग नहीं करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

साईं बाबा के साथ कई विवाद भी जुड़े। 40 हजार करोड़ रुपये का आध्यात्मिक साम्राज्य बनाए बैठे सत्यसाईं बाबा पर भक्तों को सम्मोहित करके उनका यौन शोषण करने के आरोप लगे। ब्रिटेन, स्वीडन, जर्मनी और अमेरिका के सांसदों केकई समूहों ने यह भी आरोप लगाए कि सत्‍य साईं बाबा तिकड़म और हाथ की सफाई दिखाते हैं। आरोपों के अनुसार आंध्र प्रदेश मेंपुट्टपर्थी स्थित सत्‍य साईं के आश्रम में इस तरह की शर्मनाक गतिविधियां लंबे समय से चलती रहीं और इनके बारे में कभी पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। 

आरोप सामान्य शारीरिक संबंधों के अलावा समलैंगिक गतिविधियों के भी लगे और कुछ भक्तों का कहना रहा कि उन्हें मोक्ष दिलाने के बहाने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए। मलेशिया की एक भक्त ने सीधे सत्य साईं बाबा पर आरोप लगाया था तो ब्रिटेन की एक महिला ने यहां तक कहा कि बाबा और उनके सहयोगियों ने लंबे समय तक उसका शारीरिक शोषण किया। 

1970 मेंएक ब्रिटिश लेखक टाल ब्रोक ने सत्य साईं बाबा को 'सेक्स का भूखा भेड़िया' करार दिया था। कैलिफोर्निया (अमेरिका) के रहने वालेग्लेन मैनॉय ने अमेरिकी अदालत में सत्य साईं बाबा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अर्जी दी थी।

जून 2004 में बीबीसी ने अपने कार्यक्रम 'द सीक्रेट स्‍वामी' में दावा किया कि भारत से लेकर कैलीफोर्निया तक सत्‍य साईं बाबा के कईपूर्व भक्‍तों ने उनसे मुंह मोड़ लिया है। इनका आरोप है कि बाबा ने उनकी जिंदगी बर्बाद की है। चैनल ने बाबा की एक पूर्व भक्‍तअलाया के हवाले से कहा कि बाबा ने उसका यौन शोषण किया। इस कार्यक्रम में दिए बाइट में अलाया ने कहा, 'मुझे उनके (सत्‍य साईंबाबा) की वो बात याद है कि यदि तुम ऐसा नहीं करती हो तो मैं क्‍या कर सकता हूं। तुम्‍हारे जीवन में कष्‍ट और परेशानियां झेलनीपड़ेंगी।'

2006 में ब्रिटेन में बाबा को लेकर नया विवाद उस वक्‍त शुरू हुआ जब सत्‍य साईं ट्रस्‍ट ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ इडनबर्ग के अवार्ड चैरिटी का पार्टनर बना। दोनों पक्षों के बीच तय हुआ कि चैरिटी के करीब 200 युवा वालंटियर श्री सत्‍य साईं संगठन के लिए काम करने भारत जाएंगे। हालांकि स्‍थानीय लोगों के विरोध के बाद सत्‍य साईं बाबा संगठन की ब्रिटिश स्थित शाखा साईं यूथ यूके ने अपने कदम पीछे खींच लिए। कई लोगों (जिनमें सत्‍य साई के पूर्व भक्‍त भी शामिल थे) ने सवाल किए कि जब बाबा का चरित्र संदिग्‍ध है तो चैरिटी ने ऐसा फैसला क्‍यों किया। ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने इस मुद्दे को तूल देते हुए कहा कि ड्यूक ऑफ इडनबर्ग अवार्ड से उस आध्‍यात्मिक समूह से जोड़ा जा रहा है जिसके संस्‍थापक पर बच्‍चों का यौन शोषण करने के आरोप हैं। आश्रम में यौन शोषण औरआर्थिक धोखाधड़ी के शिकार हुए कई लोगों की रिपोर्ट जब पुलिस ने नहीं लिखी तो उन्होंने अपने उच्चायोगों और दूतावासों में शिकायतकी और आखिरकार अपने देशों में जा कर शिकायत लिखवाई।

ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद टोनी कोलमेन और भूतपूर्व ब्रिटिश मंत्री टॉम सैक्रिल ने तो यह मामला ब्रिटिश संसद में भी उठाया था। उन्होंने बीबीसी की एक रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश किया और मांग की कि सत्य साईं बाबा को ब्रिटेन आने के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। यह बात अलग है कि सत्य साईं बाबा आमतौर पर अपने आश्रम से बाहर ही नहीं निकलते थे।

लेकिन जो भी हो, पर यह भी एक सच है कि साईं के भक्‍त लगभग दुनिया के सभी देशों में हैं। 167 देशों में उनका आश्रम चल रहा है और ट्रस्‍ट के जरिए लोकहित के कई काम हो रहे हैं। शायद यही खूबियां उन्‍हें हमेशा भक्‍तों के मन में जिंदा रखेंगी।

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