इस मंदिर में शूद्रों का आना मना है

बिलासपुर। जिले के ज्येठा तीर्थ स्थल महर्षि मरकडेय की तपोस्थली मरकड में बने शिव के मंदिर में 21वीं सदी में भी शूद्रों का प्रवेश निषेध है। मंदिर के प्रांगण में प्रवेश निषेध का बोर्ड लगाया गया है। धार्मिक स्थल पर लगा यह बोर्ड आधुनिक युग में पुरानी दकियानूसी बातों और रूढ़ीवादिता को प्रदर्शित कर रहा है। इस बोर्ड को लगे हुए लगभग पंद्रह साल का अर्सा बीत चुका है। बावजूद इसके जिला प्रशासन और सरकार इसे यहां से हटाने में नाकामयाब रहे हैं। इससे जातिवाद को बढ़ावा मिल रहा है।

मौजूदा परिवेश में पढ़े लिखा समाज जातिवाद पर विश्वास नहीं करता है और जातिवाद को समाप्त करने के प्रयास सरकारी सत्तर पर निरंतर जारी है। वर्ष 2005 से सितंबर 2009 तक मरकड मंदिर ट्रस्ट के अधीन भी रहा है, लेकिन किसी ने भी बोर्ड को हटाने की जहमत नहीं उठाई। बोर्ड की वजह से शूद्र वर्ग से संबंधित लोग स्नान करने करने के पश्चात महर्षि मरकडेय के अराध्य देव शिव के दर्शन करने से वंचित रह जाते हैं।

जमीन का मालिकाना हक होने के बावजूद कमेटी न तो बोर्ड हटा पा रही है ओर न ही जमीन को ही वापस ले पा रही है। इससे यह समस्या पंद्रह सालों से बनी हुई है। जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी बाबा के आगे बेबस नजर आ रही है। महर्षि मरकडेय विकास एवं प्रबंधन कमेटी ने बोर्ड को हटवाने और जमीन के मालिका हक को लेने के लिए सब जज कोर्ट आठ साल पूर्व केस कर रखा है। अदालत में विचाराधीन है। कमेटी के प्रधान सुख राम भारद्वाज ने बताया कि मामला काफी नाजुक है। धार्मिक आस्था के चलते कमेटी असहाय हैं और कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। जबरदस्ती बोर्ड हटाने पर मामला बिगड़ सकता है। शिष्य इसे गुरु स्थान मानते हैं।

गुरु रविदास सभा के प्रधान तुलसी दास बंसल ने बताया कि इस बारे तीन साल पहले भी संघर्ष किया था और उस समय डीएसपी ने मौके पर जाकर बोर्ड हटा दिया था। उन्होंने इसे दलित समाज के विरुद्ध एक कलंक करार दिया है। साठ साल देश को आजाद हुए हो गए हैं बावजूद इसके कुछ लोगों की मानसिकता दकियानूसी है। अगर शीघ्र बोर्ड नहीं हटाया गया तो दलित समाज संघर्ष करने पर मजबूर होगा।

डीसी बिलासपुर रितेश चौहान ने बताया कि उनके ध्यान में मामला अभी आया है। अगर ऐसा कोई बोर्ड लगाया गया है तो उसे शीघ्र हटाया जाएगा। दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई भी की जाएगी।

 

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