एक रिक्शेववाले को अपने काम के लिहाज़ से ४००० केलोरी की जरूरत होती है , लेकिन उनको मात्र 16oo केलोरी मिल पाता है. रिक्शावाला हमें हमारे घर तक पंहुचा देता है, फिर भी हम उन्हें पैसे देने में आनाकानी करते हैं . इतना ही नहीं , कभी उससे अछे से बात नही करते या यूँ कहें की हम रिक्शेवालों को इंसान ही नही समझते. दिल्ली में कोई कितनी भी करें रखे सर्कार को कोई मतलब नही पर कोई १ से अधिक रिक्शा नहीं रख सकता ..लिमिट है भाई दिल्ली में सिर्फ नब्बे हज़ार रिक्शा ही चल सकते है..

एक रिक्शेववाले को अपने काम के लिहाज़ से ४००० केलोरी की जरूरत होती है , लेकिन उनको मात्र 16oo केलोरी मिल पाता है. रिक्शावाला हमें हमारे घर तक पंहुचा देता है, फिर भी हम उन्हें पैसे देने में आनाकानी करते हैं . इतना ही नहीं , कभी उससे अछे से बात नही करते या यूँ कहें की हम रिक्शेवालों को इंसान ही नही समझते. दिल्ली में कोई कितनी भी करें रखे सर्कार को कोई मतलब नही पर कोई १ से अधिक रिक्शा नहीं रख सकता ..लिमिट है भाई दिल्ली में सिर्फ नब्बे हज़ार रिक्शा ही चल सकते है..

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