अभी इस घटना के गुजरे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. १४ साल का विनीत अपनी छोटी बहन श्रुति को रिजल्ट आने के पहले कोयम्बतूर के एक मंदिर में भभूत लगाने ले गया. उस मंदिर के पुजारी और उसके बेटे ने विनीत की भरपूर पिटाई कर दी. कसूर सिर्फ इतना की वो बच्चे ""दलित"" जाति के हैं. और उनके प्रवेश से मंदिर 'अपवित्र ' हो गया तो क्या हिन्दू धर्म इतना कमजोर है की एक बच्चे के प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो जाता है? क्या हिन्दू धर्म को छोड़कर पूरी दुनिया में ऐसा कोई धर्म है जिसकी मान्यताएं इतनी घिनौनी हो? क्या २२ वीं सदी के दहलीज़ पर खड़े इस देश में अब भी इंसान को इंसान नहीं समझा जायेगा? कभी सवा लग्घा दूर से ही "अपवित्र " कर देने वाले ये दलित जाति के लोग कब तक अछूत रहेंगे?
अभी इस घटना के गुजरे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. १४ साल का विनीत अपनी छोटी बहन श्रुति को रिजल्ट आने के पहले कोयम्बतूर के एक मंदिर में भभूत लगाने ले गया. उस मंदिर के पुजारी और उसके बेटे ने विनीत की भरपूर पिटाई कर दी. कसूर सिर्फ इतना की वो बच्चे ""दलित"" जाति के हैं. और उनके प्रवेश से मंदिर 'अपवित्र ' हो गया तो क्या हिन्दू धर्म इतना कमजोर है की एक बच्चे के प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो जाता है? क्या हिन्दू धर्म को छोड़कर पूरी दुनिया में ऐसा कोई धर्म है जिसकी मान्यताएं इतनी घिनौनी हो? क्या २२ वीं सदी के दहलीज़ पर खड़े इस देश में अब भी इंसान को इंसान नहीं समझा जायेगा? कभी सवा लग्घा दूर से ही "अपवित्र " कर देने वाले ये दलित जाति के लोग कब तक अछूत रहेंगे?
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
sujhawon aur shikayto ka is duniya me swagat hai