कचरे में जी रहे श्याम सहोदरों से खुद को मानकर विशिष्ठ दिखा रहे श्वेत मदार अपनी शान धर्म की महिमा महान

घास में खिले हुए हैं
नन्हें कोमल टीम -टीम करते
लाल पीले बैंगनी
कई रंगों के फूल
घास हरी -भरी पूरी है ख़ुशी से
देख -देखकर
चिढ रहे हैं
नाटे मझोले लम्बे
फूल वाले सभी पेड़ -पौधे
पीला हो रहा है कनेर
पलाश लाल
गुलाब भी प्रसन्न नही है
जबकि जानते हैं
छिले जाने ..रौंदे जाने काटे जाने
या जानवरों का आहार बनने की
घास के फूलों की नियति
जानते हैं
कवि और प्रेमियों के सिवा
देखता तक नहीं कोई इन्हें
लोगों की संभ्रांत पसंद में भी
शामिल नही हैं ये दलित फूल
देवताओं पर भी नही चदाये जाते
फिर भी इनके खिलने से
परेशान हैं
नाटे -मंझोले -लम्बे 
फूल वाले सभी पेड़ -पौधे अ




बारिश हो रही है
बड़े पेड़ जवान लड़कों की तरह
मस्ती में झूमते हुए
एक -दूसरे की झप्पी ले रहे हैं
हो -हो कर कहकहे लगा रहे हैं मंझले
कम नहीं हैं छोटे भी
बच्चों की तरह
उछल- उछलकर
नाच -गा रहे हैं
घास तो इतनी मगन है
कि नाक बंदकर पानी में
डुबकी लगाती है
तो देर तक उतराती नहीं
कीट -पतंग ,पशु -पक्षी अराजक हो गये हैं
दिन के तम का लाभ लेकर आशिकों की तरह
इश्क फरमा रहे हैं
हो रही है वर्षा
जिनको करना है घर-बाहर का काम
प्रार्थना कर रहे हैं -नन्ना रे नन्ना रे
जबकि बच्चे गा रहे हैं -बरसो रे मेघा मेघा
मजदूर बैठे ठोंक रहे हैं खैनी जैसे अपना माथा
उनकी स्त्रियाँ टटोल रही है हांड़ी
रात की रोटी की चिंता में
अमीरों के लिए शराब -कबाब का मौसम है
स्लम के लिए फांके का
चूहे ,मेढक ,सांप ही नहीं
बेघर होने के डर में हैं
मुसहर बंसफोर भी
सबकी नजरें आकाश की ओर उठी
फरियाद कर रही हैं 
परेशान हैं बादल
किसकी सुनें


पाश काँलोनी में
दरवाजों के पास
मदार के पेड़ देखकर चौंक पड़ी मैं
कैसे इतना पापुलर हुआ
उपेक्षित मदार
अब तक तो उगता रहा
कचरे के ढेर
और लावारिस जगहों पर
अपने -आप
नहीं चढ़ाया जाता
देवताओं को
[अपवाद बस शिव हैं ,पर वे भी तो देवलोक से बहिष्कृत हैं ]
किसी भी पौधे से कम आकर्षक नही है
मंझोला मदार
चौड़े हरे पत्तों के बीच
दमकता है उसका सफेद
या फिर हल्का बैंगनी फूलों -सा चेहरा
मान्यता रही कि खतरनाक है मदार
फिर क्यों सजाया जा रहा है उससे द्वार
पता चला किसी बाबा ने बताया है
मदार के औषधीय शुभ गुणों से परिचित कराया है
पर सफेद मदार
रंग -भेद यहाँ भी ?
आरक्षण में आरक्षण
कि आरक्षण का लाभ विशेष को
माँ की कोख आंवा
श्वेत -श्याम दोनों पलते हैं वहाँ
फिर एक शुभ दूसरा अशुभ कैसे ?
कचरे में जी रहे श्याम सहोदरों से 
    • कचरे में जी रहे श्याम सहोदरों से
      खुद को मानकर विशिष्ठ
      दिखा रहे श्वेत मदार अपनी शान
      धर्म की महिमा महान



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