पुरी के मंदिर में प्रवेश नहीं कर सके पुनिया |
Written by Dalitmat |
Sunday, 26 June 2011 05:04 |
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन एवं कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया पुरी के एक मंदिर में नहीं जा सके. घटना 24 जून की है. पुनिया जो खुद दलित हैं, उनको मंदिर प्रशासन ने महज मंदिर परिसर तक ही जाने की इजाजत दी थी. जब पुनिया मंदिर की ओर गए तो उन्हें उसका मुख्य दरवाजा बंद मिला. मंदिर में दलितों के प्रवेश पर प्रतिबंध से संबंधित शिकायतों की जांच करने के लिए पुनिया वहां पहुंचे थे. स्थिति को देखने के बाद इससे आहत पुनिया ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. पुनिया ने इस मामले में पंद्रह दिनों के अंदर उड़िसा के मुख्य सचिव को समन भेजने और उनसे इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगने की बात कही है. आयोग द्वारा कड़े कदम उठाने को लेकर भी पुनिया गंभीर दिखे. जिस काली मंदिर में दलितों के प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर बवाल मचा हुआ है, वहां यह प्रथा पिछले 80 सालों से चली आ रही है. इस मामले को चुपचाप सहने वाले दलितों ने पिछले साल इसके विरोध की शुरुआत की थी. तब कुछ दलित छात्राओं ने मंदिर की बाउंड्री में घुसकर पूजा करने की कोशिश की थी. इससे नाराज ऊंची जाति के लोगों ने इन लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार किया था, जिसके बाद दोनों समुदायों में हिंसक झड़पें भी हुई थी. दलितों का उत्पीड़न यहीं बंद नहीं हुआ. गांव के ही एक दलित के मुताबिक ऊंची जाति के लोगों ने दलितों को अपने खेतों की बटाईदारी का काम देने से भी इंकार कर दिया. ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर दलितों को खेती से रोक दिया गया है. मुफलिसी के दौर से गुजर रहे इस गांव के दलितों के पास खाने की भी दिक्कत है. उन्हें जबरन गांव से बाहर निकालने और उन्हें मजदूर के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि उड़िसा में यह एकलौता मंदिर नहीं है जहां दलितों को मंदिर में नहीं जाने दिया जाता बल्कि यहां के तमाम मंदिरों में ऐसा होता है. इस बार में अक्सर विवाद की खबरें भी आती रहती है. लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण अब तक यह अनैतिक और असंवैधानिक प्रक्रिया जारी है. |
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