खत्म नहीं हो रही बाल मजदूरी May 31, 11:20 pm बताएं भागलपुर/निज प्रतिनिधि इसे गरीबी की मार कहें या फिर सरकारी तंत्र की लापरवाही। सरकारी राशि खर्च करने के बावजूद प्रमंडल से खत्म नहीं हो रही बाल मजदूरी प्रथा। एक सर्वे के मुताबिक अभी भी भागलपुर और बांका में 1802 बाल मजदूर कार्यरत हैं। केंद्र सरकार इनके उन्नयन के लिए फिर से योजना बनाई है। ऐसे बच्चों को श्रम विभाग भी मुक्त कराने की योजना बना चुका है। गरीबी ने निम्न आर्थिक आय वाले परिवारों के बच्चों को मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दिया है। आज भी मोटर गेराज, ईट भट्ठा और होटलों में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम करते देखे जा सकते हैं। ऐसे बच्चों को अंतरराष्ट्रीय बाल मजदूर दिवस से कोई मतलब नही। क्योंकि इन्हें तो पेट की भूख ने मजदूरी करने को विवश कर दिया है। भागलपुर प्रमंडल में सर्वे करा कर ऐसे 1802 बच्चों को चिह्नित किया गया है। यह बच्चे अलग-अलग जगहों पर काम कर रहे हैं। ऐसे बच्चों को श्रम विभाग ने शीघ्र मुक्त कराकर मुख्य धारा से जोड़ने की योजना बना रखी है। गत वित्तीय वर्ष में भागलपुर से 54 और बांका से 59 बाल मजदूरों को मुक्त कराने का काम श्रम विभाग के धावा दल ने किया था। ---------- श्रम विभाग का धावा दल ऐसे 1802 बच्चों को जो कहीं न कहीं काम कर रहे हैं मुक्त कराने का काम करेगा। इसके लिए प्रखंड से जिला स्तर पर धावा दल का गठन किया गया है। पूर्व में मुक्त कराए गए बच्चों का उन्नयन विद्यालय नामांकन करा कर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का काम चल रहा है। -जावेद रहमत, श्रम अधीक्षक --------------- क्या है सरकार की योजना चिह्नित बाल मजदूरों को मुक्त कराने के बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनका नामांकन एनसीएलपी के विद्यालय में कराया जाएगा। इसके लिए इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा जिले में 33 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय खोलने की योजना बनाई गई है। उस विद्यालय में चिह्नित 1802 में से 1644 वैसे बच्चों को जिनकी उम्र नौ से 14 वर्ष के बीच है, का नामांकन कराया जाएगा। शेष 158 बच्चों को जिनकी उम्र पांच वर्ष तक की है उनका नामांकन प्रतिक्षा सूची में रहेगी। विद्यालय में जगह खाली होने के साथ ही उनका नामांकन करा दिया जाएगा। -संजय कुमार, परियोजना निदेशक


खत्म नहीं हो रही बाल मजदूरी

May 31, 11:20 pm
भागलपुर/निज प्रतिनिधि
इसे गरीबी की मार कहें या फिर सरकारी तंत्र की लापरवाही। सरकारी राशि खर्च करने के बावजूद प्रमंडल से खत्म नहीं हो रही बाल मजदूरी प्रथा। एक सर्वे के मुताबिक अभी भी भागलपुर और बांका में 1802 बाल मजदूर कार्यरत हैं। केंद्र सरकार इनके उन्नयन के लिए फिर से योजना बनाई है। ऐसे बच्चों को श्रम विभाग भी मुक्त कराने की योजना बना चुका है।
गरीबी ने निम्न आर्थिक आय वाले परिवारों के बच्चों को मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दिया है। आज भी मोटर गेराज, ईट भट्ठा और होटलों में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम करते देखे जा सकते हैं। ऐसे बच्चों को अंतरराष्ट्रीय बाल मजदूर दिवस से कोई मतलब नही। क्योंकि इन्हें तो पेट की भूख ने मजदूरी करने को विवश कर दिया है। भागलपुर प्रमंडल में सर्वे करा कर ऐसे 1802 बच्चों को चिह्नित किया गया है। यह बच्चे अलग-अलग जगहों पर काम कर रहे हैं। ऐसे बच्चों को श्रम विभाग ने शीघ्र मुक्त कराकर मुख्य धारा से जोड़ने की योजना बना रखी है। गत वित्तीय वर्ष में भागलपुर से 54 और बांका से 59 बाल मजदूरों को मुक्त कराने का काम श्रम विभाग के धावा दल ने किया था।
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श्रम विभाग का धावा दल ऐसे 1802 बच्चों को जो कहीं न कहीं काम कर रहे हैं मुक्त कराने का काम करेगा। इसके लिए प्रखंड से जिला स्तर पर धावा दल का गठन किया गया है। पूर्व में मुक्त कराए गए बच्चों का उन्नयन विद्यालय नामांकन करा कर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का काम चल रहा है।
-जावेद रहमत, श्रम अधीक्षक
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क्या है सरकार की योजना
चिह्नित बाल मजदूरों को मुक्त कराने के बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनका नामांकन एनसीएलपी के विद्यालय में कराया जाएगा। इसके लिए इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा जिले में 33 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय खोलने की योजना बनाई गई है। उस विद्यालय में चिह्नित 1802 में से 1644 वैसे बच्चों को जिनकी उम्र नौ से 14 वर्ष के बीच है, का नामांकन कराया जाएगा। शेष 158 बच्चों को जिनकी उम्र पांच वर्ष तक की है उनका नामांकन प्रतिक्षा सूची में रहेगी। विद्यालय में जगह खाली होने के साथ ही उनका नामांकन करा दिया जाएगा।
-संजय कुमार, परियोजना निदेशक

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