मैं दलित तुम्हारी वेद ऋचाओं माथे पर घिसे चन्दन हथियारों से लैस तुम्हारे देवी- देवताओं और तुमने जिस दुनिया को बसाया सबने मिलकर रची है साजिश मुझे गुलाम बनाने की और मैं अभिशप्त तुम्हारे पैखाने को अपने सर पर ढ़ोने को मजबूर तुमने मेरे गले में बांध दी है मंदिर की घंटियाँ ताकि मेरे गले की आवाज़ घुटकर रह जाये मैं जानता हूँ तुम्हे ऊची आवाज़ पसंद नहीं है पर मुझे भी पसंद नहीं है शंख की आवाज़ घिन आती है पूजा की थाल देखकर मंदिर की आरती सीने में आग लगाती है मैंने पढ़ लिया है तुम्हारे मंदिर पर लगा शिलापट्ट ""मंदिर में शुद्र प्रवेश न करें"" हुंह, मैं भी थूकता हूँ थू:
मैं दलित
तुम्हारी वेद ऋचाओं
माथे पर घिसे चन्दन
हथियारों से लैस
तुम्हारे देवी- देवताओं
और तुमने
जिस दुनिया को बसाया
सबने मिलकर
रची है साजिश
मुझे गुलाम बनाने की
और मैं अभिशप्त
तुम्हारे पैखाने को
अपने सर पर ढ़ोने
को मजबूर
तुमने मेरे गले में
बांध दी है
मंदिर की घंटियाँ
ताकि मेरे गले की आवाज़
घुटकर रह जाये
मैं जानता हूँ
तुम्हे ऊची आवाज़
पसंद नहीं है
पर मुझे भी
पसंद नहीं है
शंख की आवाज़
घिन आती है
पूजा की थाल देखकर
मंदिर की आरती
सीने में आग लगाती है
मैंने पढ़ लिया है
तुम्हारे मंदिर पर लगा शिलापट्ट
""मंदिर में शुद्र प्रवेश न करें""
हुंह, मैं भी थूकता हूँ
थू:
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