बहुत ही जरूरी सवाल आज देश के दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और वंचितों के सामने है. राजनीतिक नेतृत्व का सवाल . बदलती हुयी परिस्थितियों में क्या बिना सत्ता हासिल किये समाज की मुख्यधारा में शामिल हुआ जा सकता है ? संक्रमण के इस दौर में आखिर क्या विकल्प है ? मायावती या रामविलास पासवान या फिर दालतों के घर खाने का ढोंग करने वाली कांग्रेस ? सदियों से दलितों की शोषक और मस्जिद गिराने वाली भाजपा भी विकल्प हो सकता है ? इस शोषण के खिलाफ डॉ उदित राज कई वर्षों से आवाज़ मजबूती से उठाते रहे हैं. साफगोई और तार्किक तरीके से अपनी बात रखने वाले डॉ. उदित राज एक मजबूत विकल्प में उभरे डॉ. उदित राज ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नही किया . कुल मिलकर देखें तो डॉ. उदित राज वर्तमान परिस्थितयों में एक बेहतर विकल्प हैं
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
sujhawon aur shikayto ka is duniya me swagat hai