स्त्री की अस्मिता बनाम जाति की अस्मिता
भागलपुर शहर के एक निजी नर्सिंग होम (तपस्वी) के डाक्टर मृतुंजय
कुमार ने ईलाज कराने गई एक महिला मरीज अमृता तिवारी के साथ पिछले 31 अक्तूबर को ऑपरेशन
थियेटर में छेड़खानी और बलात्कार करने की कोशिश की। जब अमृता व उनके परिजनों ने
इसका प्रतिवाद किया और चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग की तो उल्टे डाक्टर के
गुर्गों ने महिला के परिजनों पर हमला कर दिया। पीड़ित पक्ष द्वारा तत्काल इस घटना
की सूचना पुलिस को दी गई, पुलिस दल-बल के साथ नर्सिंग होम तो पहुंची किंतु
आरोपी डाक्टर को गिरफ्तार करने के बजाय उनके आगे ही आत्मसमर्पण कर दिया। शहर के
कांग्रेसी विधायक तक आरोपी को खुलेआम बचाने आ पहुंचे और उन्हें अपनी गाड़ी में भगा
ले गए, पुलिस तमाशा
देखती रह गई। डाक्टर के इस घिनौने कारनामे के सामने आने के बाद एक और महिला ने
ईलाज के क्रम में उसी डाक्टर पर बलात्कार करने का आरोप लगाया है। ऐसे और भी कई
आरोप उसी डाक्टर पर दाबी जुबान से सामने आ रहे हैं जो अमृता के आरोप की पुष्टि
करते प्रतीत हो रहे हैं।
चिकित्सा के पेशे को कलंकित करने वाले इस
शर्मनाक मामले के सामने आते ही डाक्टर्स एसोसिएशन (आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन)
खुलकर आरोपी के पक्ष में उतर आया है। दिल्ली गैंग रेप मामले के खिलाफ बलात्कारी को
फांसी देने की मांग के साथ सड़कों पर उतरने वाले एसोसिएशन ने इस बार पलटी मारते हुए
पीड़िता पर ही मुकदमा वापसी का दबाव डालना शुरू कर दिया। आरोपी के पक्ष में पूरी
बेशर्मी के साथ सभाएं भी की। इतना ही नहीं भागलपुर स्थित मेडिकल कालेज के जूनियर
डाक्टरों ने तो तमाम हदों को पार करते हुए आरोपी डाक्टर के समर्थन में एक दिन का
हड़ताल तक रखा। आरोपी डाक्टर के लोगों ने इस पूरे मामले को ब्रहमणों द्वारा भूमिहार
पर हमला बताकर समर्थन जुटाने की मुहिम भी चलाई। यथास्थितिवादी-पितृसत्तात्मक-सामंत
पक्षधर कांग्रेस-भाजपा-राजद-जद-यू सबके सब पसोपेश में पड़ गए हैं। जहां राजद के
स्थानीय सांसद बुलो मंडल इस मामले में अपनी जुबान तक नहीं खोल पा रहे हैं। वहीं यहाँ
के पूर्व सांसद-भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन की शर्मनाक चुप्पी बनी
हुई है। जबकि ये वही नेता हैं जिनके बयान हर छोटी-मोटी बात पर स्थानीय मीडिया की
आए दिन सूर्खियाँ बनती रहती हैं। भाजपा सहित अन्य शासकवर्गीय व नवकुलकों की
पार्टियों के भूमिहार जाति से आने वाले नेता प्रत्यक्ष-परोक्ष आरोपी का पक्ष ले
रहे हैं और मनगढ़ंत कहानी बनाकर आरोपी डाक्टर को कैरेक्टर सर्टिफिकेट जारी करते हुए
पीड़ित महिला को ही दोषी ठहरा रहे हैं। महिला के साथ छेड़खानी-बलात्कार की कोशिश
जैसे गंभीर मामले में जातिवाद का यह घिनौना चेहरा अत्यंत ही खतरनाक रूप में सामने
आया है। भले ही राजद के मधेपुरा सांसद पप्पू यादव व उनकी पत्नी रंजीता रंजन ने
पीड़िता से मिलकर उन्हें समर्थन का इजहार किया है। जबकि सत्ताधारी जद-यू के नेताओं के
गोलमोल बयान आ रहे हैं। इन सबसे इतर भाकपा-माले ने आरोपी डाक्टर एवं पीड़िता के
परिजनों पर हमला करने वाले डाक्टर के गुर्गों की तत्काल गिरफ्तारी और घटना के दिन
आरोपी डाक्टर को बचाने-भगाने में शामिल पुलिस-प्रशासन के आलाधिकारियों के निलंबन
की मांग की है। घटना का विरोध कर रहे लोगों को शांत कराने के क्रम में भागलपुर
सीटी डीएसपी वीणा कुमारी ने महिला विरोधी यह शर्मनाक बयान दिया था कि ‘क्यों हल्ला कर
रहे हैं, बलात्कार हुआ तो
नहीं न!’
माले
ने उक्त डीएसपी के भी निलंबन की मांग की है। इसके साथ ही भागलपुर जिले में बलात्कार-छेड़छाड़-हत्या
के सभी मामलों के छुट्टा घूम रहे तमाम आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भाकपा-माले धारावाहिक
आंदोलन के जरिये कर रहा है। पिछले तीन दिनों से माले का इन सवालों पर अनशन जारी
है। आरोपी डाक्टर के पक्षधर लोग आंदोलनकारियों पर शहर की शांति भंग करने का सोशल
मीडिया-प्रिंट मीडिया में बयान जारी कर और नागरिकों के बीच प्रचार चला कर आरोप लगा
रहा। माले नेताओं ने ऐसे लोगों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ऐसे लोग शांति का
राग अलापते हुए आरोपी डाक्टर को बचाने की कोशिश में लगे हैं, जिन्हें कामयाब
नहीं होने दिया जाएगा। डाक्टर के इस कुकृत्य के खिलाफ पीड़िता के गाँव सहित आस-पास
के ग्रामीण भी संगठित होकर आरोपी डाक्टर की गिरफ्तारी और न्याय की मांग को लेकर
चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं। आगामी 12 नवंबर को माले और पीड़िता के ग्रामीणों ने
संयुक्त रूप से डीएम के घेराव का ऐलान किया है।
इधर स्थानीय
न्यायालय ने आरोपी की ओर से दाखिल एंटीसीपेट्री बेल को रिजेक्ट कर दिया है। भागलपुर
में इस बात की खुली चर्चा है कि आरोपी डाक्टर को राज्य के चर्चित भूमिहार नेता-सांसद
का संरक्षण हासिल है और वे उन्हीं की देखरेख में राजधानी पटना में हैं। राज्य के
आला पुलिसधिकारी भी भागलपुर एसएसपी पर आरोपी के ‘पक्षधर एंगिल’ पर जांच को
केन्द्रित करने का दबाव बनाए हुए हैं। यही कारण है कि इस घटना के एक सप्ताह बीत
जाने के बाद भी ऐसे संगीन मामलों के हाई-प्रोफाईल आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई
है। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप कर
रफा-दफा कर दिया जाय। हाल ही में भागलपुर में हत्या के हाई-प्रोफाईल दो आरोपियों
को इसी रास्ते बचाया जा चुका है।
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