मैं भी निसार बन गया हूँ -डॉ ओम सुधा

क्या फर्क पड़ता है की कोई निसार 23  साल तक जेल में सड़ता रहा . हमे फर्क पड़ना भी नहीं चाहिए . पर सोचियेगा की इन सालों में जिन वकीलों, अफसरों और जजों के हाथ में निसार के केस की फाइल पहुंची होगी उनका हाथ नहीं कांपा होगा , उनका कलेजा नहीं दहला होगा .
इस खबर को सुनकर हमारी और आपकी आंसूं नहीं आ रहे. हमारी रूह नहीं कांप रही .

मैं इस खबर को पढ़कर द्वारा हुआ हूँ, सहमा हुआ.. भयभीत ... जब वह जेल गया था तो बीस साल का था अभी तेईस साल का है . मेरे पास निसार के सवाल का जवाब नहीं है इसलिए मैं भी निसार बन गया हूँ , सवालों से बचने के लिए .  मेरे अंदर का निसार दहाड़ें मारकर रोना चाहता है.

आओ हम सब निसार के सवालों से बचने के लिए कोई जगह खोजते हैं , कोई कोना खोजते हैं...
डॉ ओम सुधा 

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