मेरे रक्तबीज तुम्हारे तटों, बिरलाओं और अम्बानियों को नेस्तनाबूद कर देंगे - डॉ ओम सुधा

रक्तबीज
क्या चाहते हो तुमलोग ?
तुम उजाड़ दो मेरे घर
छीन लो मेरे मुह से रोटी
कब्ज़ा कर लो
जल, जंगल और ज़मीं पर
और मैं किसी हिजड़े की तरह
तुम्हारे तमाशे में शामिल होकर
तालियाँ पीटूं..
मुझे माफ़ करना
तुम्हे क्या लगता है?
की हम
मजदूर, मजलूम और मजबूर
यूँ ही खामोश रहेंगे
तुम भले ही मेरे मुह से
छीन लो निवाला
पर याद रखना
मेरे हाथ में है
टाँगी, बरछी और फावड़ा
और मेरे कंठ से
आती एक आवाज़
हूल, बलवा, विद्रोह
मैं जानता हूँ
तुम बरसाओगे गोलियां
पर


मेरे रक्तबीज
तुम्हारे तटों, बिरलाओं
और अम्बानियों को
नेस्तनाबूद कर देंगे

डॉ ओम सुधा

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