18 जनवरी के पटना मार्च में शामिल होकर अपने हक-अधिकार व इंसाफ की आवाज बुलंद करें- डॉ मुकेश कुमार

भागलपुर में कलेक्ट्रियेट परिसर में वास भूमि की मांग कर रहे भूमिहीन-दलित-वंचित महिला- पुरुषों के बर्बर पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ इंसाफ व भूमि अधिकार सहित पूरे राज्य में दलितों-वंचितों, अल्पसंख्यकों पर जारी हमले व अधिकारों से बेदखली के खिलाफ आगामी 18 जनवरी 2017 को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित प्रतिरोध मार्च का हिस्सा बनें!
साथियो,
पिछले 8 दिसंबर 2016 को भागलपुर कलेक्ट्रियेट में वासभूमि की मांग कर रहे भूमिहीन-दलित-महादलित-वंचित महिला-पुरुषों पर नीतीश सरकार की पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज कर दिया था। इस लाठीचार्ज में दर्जनों महिला-पुरुष बुरी तरह घायल हुए। एक महिला के सीने की हड्डी तक टूट गई। घायलों का सही ढंग से इलाज तक नहीं कराया गया। उक्त शर्मनाक घटना के बाद डेढ़ दर्जन ज्ञात और 300 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करते हुए 6 अनशनकारी आंदोलनकारियों को ही जेल भेज दिया गया और इंसाफ की आवाज को कुचलने की ही कोशिश की गई। और यह सब हुआ न्याय के साथ विकास, सुशासन और सामाजिक न्याय की बात करने वाले नीतीश-लालू की सरकार में। पिछले तीन दशक से गरीबों-दलितों-पिछड़ों-अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों के नाम पर बारी-बारी से सत्ता में आये इन रहनुमाओं के राज में भूमिहीनों, पर्चाधारी भूमिहीनों, गरीबों-दलितों को वास-आवास की गारंटी तक नहीं की गई। जिन गरीबों को जमीन का पर्चा दिया गया उनको जमीन पर दखल नहीं दिया गया। जमीन पर सामंतों-दबंगों का आज भी दखल बना हुआ है। पूरे राज्य में- अररिया, सहरसा, खगड़िया, पूर्णिया से लेकर भागलपुर तक सत्ता संरक्षित सामंती ताक़तें- दबंग-माफिया गरीबों-दलितों के घर जला रहे हैं, उनपर हमले हो रहे हैं। घर उजाड़े जा रहे हैं, हत्याओं का सिलसिला जारी है। बगैर पुनर्वास की गारंटी के गरीबों-दलितों-भूमिहीनों को झुग्गी-झोपड़ी तक से बेदखल किया गया है, मानो वे इंसान ही न हों! राज्य सत्ता के इन्हीं रवैयों के चलते दलित उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। इन हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, इन्हें सत्ता का संरक्षण हासिल है। यही कारण है कि सरकारें भूमि सुधार आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने से पीछे हट गईं। दलित-वंचित-अल्पसंख्यक तबके के छात्रों की छात्रवृतियों में कटौती से लेकर दलित-पिछड़ों को नौकरियों में दी जाने वाली प्रोन्नति में आरक्षण तक से वंचित कर दिया गया है। इतना ही नहीं 1989 के भागलपुर दंगा पीड़ितों को आज तक न तो सिक्ख दंगे की तर्ज पर क्षतिपूर्ति ही मिली है और न ही सुरक्षित पुनर्वास ही। दंगा पीड़ित आज भी दर-ब-दर की ठोकरें खा रहे हैं और तब भी नीतीश-लालू सेकुलर बने हुए हैं। हाल में राज्य के कई जिलों- छपरा, वैशाली, मोतिहारी, मधेपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की दर्जनों घटनाएं हुई हैं, किन्तु संघमुक्त भारत बनाने और शराब बंदी के नशे में चूर नीतीश-लालू ने पीड़ितों के इंसाफ की बात तो दूर, उनसे मिलना भी जरूरी नहीं समझा। राज्य में पुलिसिया बर्बरता और अपराध चरम पर है।

आइये, अब जरूरी हो गया है कि इन सवालों पर राज्यव्यापी आंदोलन के लिए एकजुटता बनाते हुए

18 जनवरी के मार्च में भारी तादाद में शामिल होकर अपने हक-अधिकार व इंसाफ की आवाज बुलंद करें!
#निवेदक

#न्याय मंच, #सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)
#संपर्क : 9431690824, 7301058256, 7091862877, 8862831560, 8863059203

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