सोचिये कि देश का सिस्टम किस कदर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। सेना देश की सुरक्षा-सम्मान से जुड़ा महत्वपूर्ण विभाग है। और वहां फौजियों के भोजन तक में घपले जारी हैं! और स्याह पहलू यह कि इसे उजागर करने वाले को ही गुनहगार ठहराया जा रहा है। उसे अनुशासनहीन, बदतमीज और शराबी ठहराया जा रहा है। कई मैडल और सम्मान जीत चुके सैनिक पर इस किस्म का घटिया आरोप लगाने वाले बीएसएफ के पदाधिकारियों को बताना चाहिये कि जब वह फ़ौजी इतना ही अनुशासनहीन-बदतमीज था तो उसे इतने सम्मान किस आधार पर मिले थे और सबसे बढ़कर तो यह कि देश की सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण ड्यूटी पर उसे कैसे लगाया गया था? कार्रवाई का असल हकदार तो वह अफसर है जिसने यह सब किया। तब सवाल उठता है कि इस भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इससे साफ़ जाहिर है कि हर तरफ लूट मची हुई और पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट हो चुका है। मोदी जी ने सत्ता में आने से पहले वायदा किया था कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। और आलम यह है कि फौजियों के खाने में ही लूट मची हुई है। और उलटे इस भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले सैनिक को ही दण्डित किया जा रहा है! तो असल सवाल यह उठता है कि इस पूरे सिस्टम को सच बर्दाश्त करने की कूबत नहीं है? यानी झूठ-लूट और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर ही यह सिस्टम खड़ा है! क्या सचमुच में लोकतंत्र, सत्यमेव जयते का राष्ट्रीय स्लोगन सब कहने की बातें हैं, व्यवहार में ये अर्थहीन हैं। सिस्टम का आवश्यक अंग लूट-भ्रष्टाचार और बेमानी बन गया है। यही मुख्यधारा है, इसी कारण विजय माल्या बच गया और तेज बहादुर की आवाज दफन हो जायेगी!
डॉ मुकेश
डॉ मुकेश
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