भयानक प्रशासनिक बदइंतजामी का नतीजा है पटना नाव हादसा
दोषियों को मिले सजा! : न्याय मंच
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बिहार की राजधानी पटना में मकर संक्रांति को जिला प्रशासन द्वारा आयोजित पतंगबाजी कार्यक्रम से लौट रही नौका पटना शहर के करीब एनआईटी घाट के एकदम करीब आकार डूब गई। नौका में सवार 50 से अधिक लोग डूबने-चीखने, चिल्लाने लगे और जब तक एनडीआरएफ का बचाव दस्ता पहुंचा तब तक 21 जानें जा चुकी थीं। नाव में सवार लोगों में बच्चे और महिलाओं की बड़ी तादाद थी। यह नौका दुर्घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। पहला सवाल तो यही है कि नौका की क्षमता से ज्यादा लोगों को नौका में सवार क्यों होने दिया गया था। और सवाल तो यह भी है कि जब पतंगबाजी का यह पूरा आयोजन सरकारी था, तब तो सवाल उठना लाजिमी है कि बिना जीवन सुरक्षा जैकेट के पतंगबाजों को आखिर नाव पर कैसे ले जाया गया था। अगर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए होते तो 21 जिंदगानियों को अपने जीवन से हाथ न धोना पड़ता। इससे पूर्व भी पटना में छठ पर्व के दरम्यान इसी किस्म का हादसा हो चुकने के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। इधर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना पर शोक जताते हुए मृतकों ए परिजनों को चार-चार लाख रूपये मुआवजे की मरहम पट्टी लगाने की कोशिश की है। न्याय मंच, बिहार ने इस प्रशासनिक लापरवाही के जवाबदेह जिला प्रशासन पर हत्या का मुकदमा दर्ज करते हुए स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषियों को सजा देने की मांग की है। न्याय मंच के नेता रिंकु एवं डॉ. मुकेश कुमार ने इस घटना की जांच के लिए बनी कमिटी, जिसमें पटना के जिलाधिकारी को भी रखा गया है, की वैधता पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि प्रथम दृष्ट्या ही इस मामले में जिला प्रशासन की चरम लापरवाही सामने आती है, तब ऐसे जांच से न्याय की क्या उम्मीद हो सकती है?
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