एकदिन दुनिया के सारे पुरुषों को खास बनना ही होगा - सुजाता चौधरी

 एकदिन दुनिया के सारे पुरुषों को खास बनना ही होगा|
प्राय:सभी लोगों की अपनी एक सोच होती है ,अपनी एक दृष्टि होती है ,एक चिन्तन होता है स्वाभाविक है मेरी भी एक सोच है पुरुषों को लेकर, जो पुरुष महिलाओं के बारे में पुरुष की तरह नहीं सोचकर मनुष्य की तरह सोचते हैं पता नहीं क्यों मुझे वे पुरुष महापुरुष की तरह दीखने लगते हैं|स्त्रियों की समस्याओं को समझना ,महसूस करना और उनके प्रति संवेदनशील होना उन्हें खास बनाता है और वे खास हैं भी ,क्योंकि जिस दर्द को उन्होंने भोगा नहीं,जिस जिल्लत की जिन्दगी को उन्होंने काटी नहीं,जो अपमान उन्होंने झेला नहीं उसकी वेदना को महसूस करना क्या उन्हें खास नहीं बनाता ?कभी-कभी सोचती हूँ क्या दुनिया में ऐसे खास लोग बहुसंख्यक बनकर स्त्रियों के जीवन को आसान बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे या स्त्रियों को लम्बा संघर्ष करने के सिवा कोई विकल्प नहीं?मैंने एक संवेदनशील पुरुष को जब यह कहते सुना –स्त्रियाँ इस मौहाल में जीवित कैसे बच रही हैं ,मुझे लगता है मैं यदि स्त्री होती तो शायद इतनी कठिन जीवन जी ही नहीं पाती|उससमय मुझे फक्र हुआ हम स्त्रियाँ कमजोर नहीं हैं और एकदिन दुनिया के सारे पुरुषों को खास बनना ही होगा|

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