जांबाज सैनिक को गालियां देने वाली इस प्रजाति मनु के वारिस हैं- डॉ मुकेश कुमार


कई लोग देश की सीमा पर कल तक तैनात फ़ौजी द्वारा सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा सेना को दिए जा रहे घटिया भोजन-राशन घोटाले के खुलासे पर तरह-तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ भक्त टाईप लोग तो इस खुलासे से इतने आहत हो उठे हैं कि खुलासे से सामने आये इस घृणित घोटाले पर बोलने के बजाय इस मेडलधारी बहादुर सैनिक की जाति को सामने रखकर पूरे दलित-पिछड़ों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं और घोटालेबाज सेना के अधिकारियों की खुली पैरवी पर उतर आये हैं। इस जांबाज सैनिक को गालियां देने वाली इस प्रजाति के बारे में विशेष कहने की जरूरत नहीं है, ये सभी उसी मनु के वारिस हैं, जिन्होंने इन्हें दलितों-शूद्रों से नफरत और उनका शोषण करना ही सिखाया है।
इस पूरे मामले पर साकारात्मक किस्म की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। प्रसिद्ध क्रिकेटर विरेन्द्र सहवाग ने इस सैनिक का समर्थन किया है। और भी कई लोग इस राशन घोटाले से काफी आहत महसूस कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये घपलेबाज अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के राशन में भी घोटाला करने से बाज नहीं आए! कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि यदि यह खुलासा करने वाला सैनिक मुस्लिम होता तो क्या होता? इसका तो सिम्पल जवाब है कि तत्काल उसे आतंकवादी संगठन का मुखबिर करार दिया गया होता, और क्या होता! इसके ढेर सारे मनगढ़न्त सबूत पेश कर दिए गए होते और देश की जनता से भी यह मनवा लिया गया होता। और यह मुमकिन था कि अगर घोटालेबाज अफसर दलित-पिछड़े तबके से होता और आरोप लगाने वाला सैनिक किसी उच्च वर्ण का होता तो स्थिति थोड़ी भिन्न भी हो सकती थी। ऐसी स्थिति में हो सकता था बीएसएफ उसे अनुशासनहीन, बदतमीज, शराबी बताने और सुरक्षा के काम से हटाकर प्लम्बर का काम कराने के बजाय कार्रवाई की सुई अफसर की दिशा में भी घूम सकती थी। हालांकि ये सभी अटकलें ही कही जायेंगी।
कुछ लोगों ने बीएसएफ द्वारा उक्त सैनिक पर दी गई प्रतिक्रिया को भी आड़े हाथों लेते हुए खरी-खोटी सुनाई है कि अगर वह इतना ही बदतमीज था तो उसे सुरक्षा कार्य में यह सब जानते हुए कैसे तैनात किया गया था! आरोप लगाने वाले सैनिक की पत्नी ने भी यह सवाल खड़ा किया है और सैनिक ने भी सफाई पेश करते हुए यह सवाल उठाया है कि अगर वह ऐसा ही था तो उसे बहादुरी के दर्जनों सम्मान और मैडल आखिर किसलिये मिले!
इन सारे सवालों ने बीएसएफ जैसी महत्वपूर्ण संस्था से लेकर सेना की स्थिति पर ढेरों सवाल खड़े कर दिये हैं, जिन्हें टाला नहीं जा सकता। इस पूरे मसले पर केंद्र सरकार को हिम्मत दिखाते हुए उच्चस्तरीय जांच कराते हुए राशन घोटाले के दोषियों पर कठोर कार्रवाई करना चाहिये। ताकि देश की रक्षा के लिये अपने जान की बाजी तक लगा देने वाले सैनिकों को अच्छा भोजन और सुविधाएं तो कम से कम मिले हीं।

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