अंजनी की कविता पढ़िए
कहां फसे हो दोस्त इस चारदीवारी के कमरे में जहाँ से तय होती है किसी मुट्ठी भर लोगों की तकदीर जहाँ बैठते हैं समाज के चोर व अपराधी वो तुम्हारे लिए काम नहीं करते हैं वो तो काम करते हैं अपने हुक्मरानों के लिए इसमें तुम्हारी मुक्ति कतई संभव नहीं है अब तो तुम्हारे पास जीवन का लम्बा अनुभव है फिर भी तुम इस व्यवस्था में विश्वास रखते हो जो सिर्फ तुम्हारे शोषण पर टिका है आखिर कब तक इस गुलामी की जंजीर में पिसते रहोगे अब तो उठ खड़े हो दोस्त पहचानो ऐसे गद्दारों को जो अबतक तुम्हारे साथ छल करते रहा तुम्हारी मुक्ति तुम्हारे एकता में ही है ये रंग-बिरंगे झंडे सिर्फ तुम्हारे एकता को तोड़ने के लिए है मत बंटो जाति व धर्म के नाम पर इसकी इतिहास बहुत गंदी है ये सिर्फ तुम्हें तोड़ सकता है, लेकिन जोड़ नहीं सकता ये कार्यपालिका,न्यायपालिका व विधायिका तुम्हारे लिए नहीं है ये उन हुक्मरानों के लिए है जो तुम्हें सदियों से गुलाम बनाकर रखा था यहाँ पर बैठे लोग उन हुक्मरानों का ही गुलाम है.......
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sujhawon aur shikayto ka is duniya me swagat hai