भागलपुर लाठीचार्ज मामले को लेकर गठित जांच कमिटी पर ही सवाल - न्याय मंच

• न्याय मंच और जनसंसद ने कलेक्ट्रियेट लाठीचार्ज मामले की जांच के लिए गठित कमेटी को किया खारीज़, कहा दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए गठित हुई है यह जांच कमेटी
 • पूरे मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराये राज्य सरकार
भागलपुर, 10 जनवरी। ल उठाते हुए दोनों संगठनों के नेताओं ने कहा है कि जिलाधिकारी के कार्यालय में मौजूद रहते हुए एसडीओ-डीएसपी सहित पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं पर बार्बर लाठीचार्ज भी किया और जांच कमिटी भी उन्होंने ही बना डाली। न्याय मंच के नेता रिंकु एवं डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि इस घटना के लिए जिलाधिकारी जिम्मेदार हैं और जांच भी वही करा रहे हैं। यानी मुजरिम और जज दोनों एक ही है। दोनों नेताओं ने कहा है कि इससे साफ जाहिर होता है कि यह जांच कमेटी बनायी ही इसलिए गई है ताकि इस पूरे मामले की लीपापोती की जा सके। डीएम से निचले स्तर के पदाधिकारियों की जांच कमेटी आखिर इस मामले की जांच कैसे कर सकती है? वहीं जनसंसद के नेता रामानन्द पासवान ने कहा कि इस बर्बर घटना में आधा दर्जन महिलाएं बुरी तरह से जख्मी हुई थीं और एक की छाती की हड्डी भी टूट गई है। दर्जनों ल्लोग घायल हुए थे। 5 दिसंबर से जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष अनशन पर बैठे अनशनकारियों को भी पुलिस ने हाजत में बंद कर बुरी तरह पीटा था और उन्हें जेल भेज दिया था। उन्होंने कहा कि जब तक इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच नहीं होगी तब तक पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल सकता है।
न्याय मंच और जनसंसद के नेताओं ने जारी संयुक्त बयान में कहा है कि जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच कमेटी द्वारा गुपचुप तरीके से सुनवाई का महज दिखावा करते हुए दोषी अधिकारियों को क्लीन चीट देने की है। सुनवाई की तारीख, स्थल और समय के बारे में आम जनमानस में व्यापक प्रचार-प्रसार किये बगैर आखिर सुनवाई कैसे हो रही है। दोनों संगठनों ने इस जांच कमेटी को अविलंब भंग करते हुए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराने की मांग राज्य सरकार से की है।
न्याय मंच और जनसंसद ने पिछले 8दिसंबर को भागलपुर समहरणालय में वासभूमि की मांग कर रहे भूमिहीन-दलित-वंचित स्त्री-पुरुषों पर जिला प्रशासन द्वारा किए गए लाठीचार्ज मामले को लेकर गठित जांच कमिटी पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। जिला प्रशासन की नियत पर सवा

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