घोरघट मुंगेर मे पासवान समाज का जमघट लगा बासुकी पासवान ,संजय पासवान और प्रमोद पासवान के नेतृत्व में ।इसमें अतिथि के रूप में शामिल हुए ई हरिकेश्वर राम , बुद्धशरण हंस ,डाँ विजय कुमार त्रिशरण ,डाँ संजय कुमार सुमन ,अमर आजाद और रामप्रसाद राम और पूर्व विधायक गणेश पासवान ।
प्रायः दलित मे यह आशंका व्याप्त थी कि जातीय सभा से अनुसूचित जातियों की एकता भंग होगी जिसे सभी अतिथियों और वक्ताओं ने निर्मूल साबित कर दिया ।बुद्धशरण हंस जी ने अपने संबोधन की शुरूआत ही बुद्ध बंदना से शुरू किया और पासवानो को ललकरते हुए याद दिलाया और बताया कि आज के दुसाध राहू के बंशज है जिनकी हत्या हिन्दू धर्म के विष्णु ने पूर्णिया के बाँस के जंगल में आग लगाकर किया था जिनकी याद मे ही दुसाध जाति के लोग राह की पूजा बिना ब्राह्मणों के स्वयं करते और आग पर चलकर संघर्ष का संकल्प लेते है लेकिन अपने कुल देवता राहू के हत्यारे विष्णु के बंशजों के षड़यंत्र मे आज भी फंसे हुए है उससे निकले बिना समाज का नेतृत्व नही कर सकता पासवान समाज ।मैंने (हरिकेश्वर राम) ने कहा कि सभी अनुसूचित जातियों को संविधान मे एक ही अधिकार है और उसे पाने का एक ही रास्ता भी है लेकिन बिहार सरकार ने राजनैतिक कारणों से असंवैधानिक वर्गीकरण कर हमे कुछ अधिकारो से बंचित कर डाला जिसके पासवान समाज अलग से लड़ सकता है और लड़ भी रहा है ।लेकिन अपने संघर्ष मे समाज को विखंडित करने वाली कोई बात नही होनी चाहिए क्योंकि हमारी लडाई ब्रह्मण वाद से ही है इसके लिए पासवान समाज सभी दलितों की लड़ाई को लड़े और सभी के सहयोग से ब्राह्मण वाद और फर्जी समाजवादियों से मुक्ति दिलाकर सामाजिक न्याय का परचम लहराए ।डाँ त्रिशरण ने कहा कि आर्यो के भारत आगमन के पूर्व आप शासक थे अपनी पूर्व की स्थिति बहाल करे शासक बंश ।केदार पासवान और शांतनु पासवान भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित थे लेकिन अपरिहार्य कारणों से शामिल नही हो पाए जिनकी अनुपस्थिति मुझे भी खली ।
प्रायः दलित मे यह आशंका व्याप्त थी कि जातीय सभा से अनुसूचित जातियों की एकता भंग होगी जिसे सभी अतिथियों और वक्ताओं ने निर्मूल साबित कर दिया ।बुद्धशरण हंस जी ने अपने संबोधन की शुरूआत ही बुद्ध बंदना से शुरू किया और पासवानो को ललकरते हुए याद दिलाया और बताया कि आज के दुसाध राहू के बंशज है जिनकी हत्या हिन्दू धर्म के विष्णु ने पूर्णिया के बाँस के जंगल में आग लगाकर किया था जिनकी याद मे ही दुसाध जाति के लोग राह की पूजा बिना ब्राह्मणों के स्वयं करते और आग पर चलकर संघर्ष का संकल्प लेते है लेकिन अपने कुल देवता राहू के हत्यारे विष्णु के बंशजों के षड़यंत्र मे आज भी फंसे हुए है उससे निकले बिना समाज का नेतृत्व नही कर सकता पासवान समाज ।मैंने (हरिकेश्वर राम) ने कहा कि सभी अनुसूचित जातियों को संविधान मे एक ही अधिकार है और उसे पाने का एक ही रास्ता भी है लेकिन बिहार सरकार ने राजनैतिक कारणों से असंवैधानिक वर्गीकरण कर हमे कुछ अधिकारो से बंचित कर डाला जिसके पासवान समाज अलग से लड़ सकता है और लड़ भी रहा है ।लेकिन अपने संघर्ष मे समाज को विखंडित करने वाली कोई बात नही होनी चाहिए क्योंकि हमारी लडाई ब्रह्मण वाद से ही है इसके लिए पासवान समाज सभी दलितों की लड़ाई को लड़े और सभी के सहयोग से ब्राह्मण वाद और फर्जी समाजवादियों से मुक्ति दिलाकर सामाजिक न्याय का परचम लहराए ।डाँ त्रिशरण ने कहा कि आर्यो के भारत आगमन के पूर्व आप शासक थे अपनी पूर्व की स्थिति बहाल करे शासक बंश ।केदार पासवान और शांतनु पासवान भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित थे लेकिन अपरिहार्य कारणों से शामिल नही हो पाए जिनकी अनुपस्थिति मुझे भी खली ।
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