मनुवादी जितनी प्रखरता के साथ मध्य युग के मुस्लिम शासको द्वारा हिंदुओ पर किए गए अत्याचारों का विरोध और प्रचार प्रसार करते है, उस प्रखरता को तब साँप क्यूँ सूंघ जाता है जब दलितो-आदिवासियों पर किए गए अत्याचार की बात उठती है। आप मध्य युग छोड़िए, अपने ही धर्म-समाज के हिस्से को आपने कितनी सदियों तक ग़ुलाम बनाकर रखा, वर्ण व्यवस्था के नाम पर कितना शोषण किया, एक बेहतर जीवन जीने की तमाम संभावनाओं से दूर रखा। पहले इसका भी हिसाब लगाइए और इसका और भी अधिक प्रखरता के साथ प्रचार प्रसार कीजिए। यह स्वीकार करने का साहस दिखाइए कि आपकी पीढ़िया सदियों तक अक्षम्य अपराध करती आयी है। उसका प्रायश्चित का मार्ग ढूँढने का प्रयास कीजिए। और अगर आपका धर्म इस अत्याचार को पाप नही मानता तो फिर आप किसी भी अत्याचार पर प्रश्न खड़ा करने योग्य नही है क्यूँकि हो सकता है कि किसी और का धर्म भी आप पर किए गए अत्याचार को पाप ना मानता हो।
दलितो-आदिवासियों पर किए गए अत्याचार की बात पर मनुवादियों को सांप क्यों सूंघ जाता है- डॉली कुमार
दलितो-आदिवासियों पर किए गए अत्याचार की बात पर मनुवादियों को सांप क्यों सूंघ जाता है- डॉली कुमार
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