कलयुग आ गया है... स्वागत करिए.. डॉ ओम सुधा

आपने गौर किया है समाज में तर्क करने वाले लोग बढे हैं, पत्थर के पुतले को पूजने वाले इश्वर की अवधारणा पर डाउट कर रहे हैं, नास्तिकों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हो रही है, लोग वैज्ञानिक चिंतनशील हो रहे हैं, इश्वर के एजेंट को जनता गरिया रही है, पिके जैसे फिल्मे ज्यादा बिजनेस कर रही है..
अन्धविसवासी लोग बौखलाए हुए हैं. लोग आस्था को बेवकूफी का पर्याय मानने लगे हैं. इश्वर को मानने वाले स्वर्ग की सीढ़ी का रास्ता नहीं बता पा रहे तो अल्लाह के एजेंट क़यामत का सही-सही वक़्त नहीं बता पा रहे..
इश्वर-अल्लाह है -नहीं है-है-नहीं है...
आप अंदाजी टक्कर मारते रहिये
पर मुझे लगता है कलयुग आ गया है... स्वागत करिए..

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