प्रिंट मीडिया की मौत-दिलीप मंडल

यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में हो चुकी है और अब भारत में हो रही है। मरने वालों में इंग्लिश अख़बारों का नंबर पहले आएगा। अनपढ़ लोग जिन भाषाओं में पहली बार साक्षर बन रहे हैं, जैसे हिंदी, उन भाषाओं के अखबार बाद में मरेंगे। अखबारों से पहले पत्रिकाएँ मरेंगी। इंटरनेट इन सबको खा लेगा। 

9 जनवरी से छह शहरों - भोपाल, इंदौर, राँची, कानपुर, इलाहाबाद और बनारस से हिंदुस्तान टाइम्स का छपना बंद हो जाएगा। इसी समूह के आर्थिक अखबार मिंट के कई ब्यूरो बंद हो चुके हैं। पिछले महीने टेलीग्राफ़-आनंद बाजार पत्रिका से 40% स्टाफ़ को निकाला जा चुका है। टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के मालिक विनीत जैन ट्विट करके बता रहे हैं कि प्रिंट मीडिया का हाल बुरा है।

प्रिंट पूरी दुनिया में मर रहा है। अफ़सोस की बात नहीं है

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