वंचित समाज पत्रिका का विमोचन



अँधेरे के खिलाफ रौशनी की एक किरण है वंचित समाज
अंग सांस्कृतिक केंद्र में वंचित समाज पत्रिका का विमोचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम

अंग सांस्कृतिक केंद्र भागलपुर युवा पत्रकार सोमनाथ आर्य द्वारा पत्रिका वंचित समाज का विमोचन वरिष्ट दलित चिन्तक बुधशरण हंस के करकमलो से हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आकाशवाणी के निदेशक शिवमंगल सिंह मानव भी मौंजूद थे। वोमोचन करते हु बुध शरण हंस ने कहा की वंचित समाज केवल एक पत्रिका नहीं वरन दलितों की आवाज़ बनकर उभरेगी। यह समाज के वंचित समुदाय की समस्याओं को प्रमुखता से सामने लाएगी। इस मौके पर वरिष्ट्र आलोचक डॉ योगेन्द्र ने कई झकझोरने वाले सवाल उठाये और कहा की दलित समाज को सही दिशानिर्देश की जरुरत है। क्यूँ आजादी के ६० सालों के बाद भी इस समाज के लोग आदमी का पैखाना सर पर ढ़ोने को मजबूर हैं? क्यूँ आज भी इन्हें समाज की मुख्यधारा से वंचित रखा गया है? इस मौके पर डॉ प्रेमप्रभाकर ने कहा की सदियों से इस समाज का शोषण होता या है। अब वक़्त गया है की देश की सरकारें और तथाकथित एलिट समाज इस वंचित समुदाय के उपेक्षित लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करे। इस मौके पर बोलते हुए बहुचर्चित उपन्यासकार रंजन ने कहा की दलित समाज दो भागों में विभाजित हो गया है एक तरफ वो लोग हैं जो थोरी बहुत शिक्षा हासिल कर समाज की मुख्यधारा से जुंङ रहे हैं वहीँ दूसरी ओर इस समुदाय की बहुसंख्य आबादी उन लोगों की है जो आज भी अपने सर पर पैखाना ढ़ोने जैसे घृणित कार्य को करने के लिए अभिशप्त हैं। यह पत्रिका दूसरी कोटि के वंचित समुदाय के लोगों की आवाज है। अंत में बोलते हुए पत्रिका के संपादक और युवा पत्रकार सोमनाथ आर्य ने कहा कि
आज जब पूरी दुनिया चाँद पर बस्तियां बसने का ख्वाब देखती है तो इस देश में समाज का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे दो जून कि रोटी तक नसीब नहीं। पेट भरने के लिए चूहे का सेवन करना परता है। समाज में इन्हें नीची नजरो से देखा जाता है . सवा लग्घा से ही धरती और आदमी को अपवित्र करने वाले ये लोग आज भी अछूत हैं . इनके हाथों का छुआ खाना और पानी आज भी सवा लग्घा वाली सच्चाई से कम कष्टकर नहीं . २१ वी सदी के भारत का यही स्याह सच है। वंचित समाज के इन लोगों के जीवन में कहीं रौशनी कि कोई किरण नहीं है । बस है तो घटाघोप अँधेरा। यह पत्रिका इनके जीवन कि कर्वी सच्चाइयों से हमें आगाह करने के लिए है ताकि इनके अँधेरे जीवन में रौशनी कि एक छोटी सी भी लक्किर पहुच सके।
पत्रिका के विमोचन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर चला और कवि गोष्टी में सुरेश सूर्य और बासुकी पासवान सहित कई कवियों ने कविता पथ किया । सिहासन खली करो नाटक के मंचन के साथ देर रात कार्यक्रम कि समाप्ति हुई।

टिप्पणियाँ