कंजूसी ऐसी प्रवृत्ति है जो समाज में हर घर और परिवार में दिख जाती है। इसी प्रवृत्ति पर आधारित हास्य नाटक 'दुलारी बाई' का मंचन रविवार को कला केंद्र में युवा रंगकर्मियों ने किया। आलय द्वारा एकता नाट्य मंच के तत्वावधान में यह मंचन किया गया।
दुलारी बाई एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसे कंजूसी विरासत में मिली है। उसे विरासत में धन भी प्राप्त हुआ है। पूरी कहानी कंजूस दुलारी बाई के इर्द-गिर्द घुमती है और कंजूसी की एक से बढ़कर एक कारनामों की प्रस्तुति होती है। श्वेता भारती ने कंजूस दुलारी बाई के पात्र को जीवंत कर खूब तालियां बटोरी। इसके अलावा कल्लू भाड़ की भूमिका में मदन ने कई पात्र को जीवंत किया। साथ ही सूरज, अतुल, सज्जन, रोहित सहित कोरस में आनंद, रवि शंकर मिश्र संजीव सौरभ ने सक्रिय भूमिका निभाई। 'दुलारी बाई' की रचना मणि मधुकर ने की। निर्देशन आलय के वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश झा एवं संगीता झा ने किया, जबकि परिकल्पना शशि शंकर एवं सह निर्देशन दिवाकर ने किया था। इनके अलावा रीतेश, जय प्रकाश, दिवाकर, श्वेता भारती, मोहित नाहर, शैलेश एवं सिन्टू सिन्हा व गणेश ने मंचन में सक्रिय भूमिका निभाई
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