दलित की तुलना सूअर से करने वाले विधायक के नाम एक दलित हीरा डोम का ख़त
प्रस्तुति - डॉ ओम सुधा
महाराष्ट्र से बीजेपी विधायक रविंद्र चव्हाण ने दलितों की तुलना सूअर से की है। बिहार के भागलपुर जिले में बरारी घाट पर रहता है हीरा डोम। हीरा सूअर पालता है ,बरारी घाट पर लाश जलाता है। हीरा अपने बच्चों को सरकारी स्कुल में भेजता है। कभी जाता है, कभी नहीं जाता। हीरा के बच्चों के साथ स्कूल में सब भेदभाव करते हैं। मास्टर साहब भी और दूसरे विद्यार्थी भी। हीरा का आठ साल का बेटा बहुत छोटा है इस भेदभाव को समझने के लिए। पर इतना समझने लगा है की सब उससे दूर भागते हैं, सब उसके छुए जाने से बचते हैं। हालांकि उसको स्कूल में मुफ्त का खाना मिलता है। पर हीरा डोम के बेटे को मुफ्त की खिचड़ी के साथ अपमान का घूंट बर्दाश्त नहीं होता। इसलिए अब वह घर पर ही रहता है और सुप बीनने में माँ की मदद करता है। हीरा हर सुबह चौक पर जाकर चाय पीता है। उसके लिए दुकानदार ने अलग कप रखा हुआ है। दूकान में अखबार भी आता है। अखबार में दलित की तुलना सूअर से किये जाने की खबर भी छपी है।
हीरा डोम अखबार में इस खबर को पढ़कर खुश है। उसे यह जानकार ख़ुशी हो रही है कि अब उसके पालतू सूअर भी राष्ट्रीय बहस के केंद्र में हैं। वो इसे सोच सोचकर रोमांचित हो रहा है की जिन सूअरों की वजह से सदियों से उसके परिवार का पेट भरता रहा है, उसे अब जाकर यथोचित सम्मान मिला है..
दलित और सूअर को बहस के केंद्र में लाने के लिए वह महाराष्ट्र से बीजेपी विधायक रविंद्र चव्हाण को धन्यवाद करना चाहता है। वो खत लिखता है रविंद्र चौव्हाण को..
हीरा डोम अखबार में इस खबर को पढ़कर खुश है। उसे यह जानकार ख़ुशी हो रही है कि अब उसके पालतू सूअर भी राष्ट्रीय बहस के केंद्र में हैं। वो इसे सोच सोचकर रोमांचित हो रहा है की जिन सूअरों की वजह से सदियों से उसके परिवार का पेट भरता रहा है, उसे अब जाकर यथोचित सम्मान मिला है..
दलित और सूअर को बहस के केंद्र में लाने के लिए वह महाराष्ट्र से बीजेपी विधायक रविंद्र चव्हाण को धन्यवाद करना चाहता है। वो खत लिखता है रविंद्र चौव्हाण को..
इस चिट्ठी में शब्द तो मेरे हैं पर भावनाएं हीरा डोम की है...
आदरणीय रविन्द्र चौव्हाण जी ...
जबसे मैंने चाय की दूकान पर यह खबर पढ़ी है की आपने दलितों की तुलना सूअर से की है, हमारा मन बाग़ बाग़ हुआ जाता है। आपने कहा है की "अब्राहम लिंकन ने एक सूअर को नाले से निकालकर उसे साफ किया था। उसी तरह पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य के सीएम देवेंद्र फड़नवीस दलितों के उत्थान के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।’
बहुत लोग इस बात के लिए आपकी आलोचना भी करेंगे की आपने दलितों की तुलना सूअर से कर दी है। पर, आपने अनजाने में बहुत महान कर्म कर दिया है। मैं और मेरे सूअर आपका ये एहसान कभी नहीं भूलेंगे। वैसे भी आपने गलत क्या कह दिया है? सूअर ही तो हैं हमलोग। क्या ये सच नहीं की आज भी इस देश में मेरे जैसे करोड़ों दलित सूअर की तरह जीने को मज़बूर हैं। सूअर सी ज़िंदगी जी रहे हैं। कभी आइएगा हमारे यहाँ तो देखिये की जहाँ पर हम रहते हैं वही पर सूअरबाड़ा भी है। कभी वो हमारे बेडरूम में आकर सो जाते हैं कभी हमारे बच्चे उनके बाड़े में जाकर खेलते-खाते हैं। आपको घिन आ रही होगी। पर हमारी ज़िंदगी का सच यही है। अब देखिये हमारे और सूअर की ज़िंदगी में कितनी समानता है। हम भी स्कुल नहीं गए, हमारे सूअर भी स्कुल नहीं जाते। हम अपना इलाज बढ़िया अस्पताल में नहीं करा पाते और हमारे सूअर भी। बदबू हमारे शारीर से भी आती है और हमारे सूअर की शरीर से भी। हम भी बाड़े में रहते हैं और हमारे सूअर भी.. आपको हमारे सूअर से भी घिन आती है और हमसे भी। जिनको हमारी तुलना सूअर से किये जाने पर आपत्ति है वो घोर दलित विरोधी हैं। उनको बताना होगा की दलित और सूअर एक दूसरे से अलग कैसे हुए। खाली चिल पोँ करने से काम नहीं चलेगा।
मैं आपकी इस बात से भी इत्तेफाक रखता हूँ रविंद्र चौहान जी की नरेंद्र मोदी हमारे लिए मसीहा बनकर आये। बिलकुल सही कह रहे हैं आप जिनको लागता है की मोदी जी दलित विरोधी है उनको याद रखना चाहिए की मोदी जी ने आंबेडकर जयंती के दिन नीले रंग का कुरता पहना था और जय भीम भी बोला था। फिर नरेंद्र मोदी दलित विरोधी कैसे हुए? ये सब विपक्ष की चाल है। कुछ लोग कहते हैं की आपकी सरकार ने दलितों के कल्याण बजट में बड़ी कटौती की है। पर इनके कहने पर मत जाइएगा ये सब विकास विरोधी हैं। राष्ट्र विरोधी है। अब इनको कौन समझाए की आप पैसे कटौती करके अडानी अम्बानी को दे रहे हैं। ये मूर्ख नहीं समझते की अडानी -अम्बानी का विकास ही तो राष्ट्र का विकास है। देशद्रोही कहीं के।
जो लोग भाजपा को दलित विरोधी पार्टी कहते हैं उनको मैं डंके की चोट पर याद दिलाना चाहता हूँ की पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह जी ने एक दलित के यहां कहना खाया खाया था। दलित के यहां कैमरे के सामने खाना खाने वाला और जय भीम का नारा लगाने वाला कहीं दलित विरोधी होता है क्या? मैं तो कहता हूँ रविंद्र चौहान जी आप गिरिराज सिंह जी से कहकर इन सब को पाकिस्तान भेज दीजिये।
मैं आपकी इस बात से भी इत्तेफाक रखता हूँ रविंद्र चौहान जी की नरेंद्र मोदी हमारे लिए मसीहा बनकर आये। बिलकुल सही कह रहे हैं आप जिनको लागता है की मोदी जी दलित विरोधी है उनको याद रखना चाहिए की मोदी जी ने आंबेडकर जयंती के दिन नीले रंग का कुरता पहना था और जय भीम भी बोला था। फिर नरेंद्र मोदी दलित विरोधी कैसे हुए? ये सब विपक्ष की चाल है। कुछ लोग कहते हैं की आपकी सरकार ने दलितों के कल्याण बजट में बड़ी कटौती की है। पर इनके कहने पर मत जाइएगा ये सब विकास विरोधी हैं। राष्ट्र विरोधी है। अब इनको कौन समझाए की आप पैसे कटौती करके अडानी अम्बानी को दे रहे हैं। ये मूर्ख नहीं समझते की अडानी -अम्बानी का विकास ही तो राष्ट्र का विकास है। देशद्रोही कहीं के।
जो लोग भाजपा को दलित विरोधी पार्टी कहते हैं उनको मैं डंके की चोट पर याद दिलाना चाहता हूँ की पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह जी ने एक दलित के यहां कहना खाया खाया था। दलित के यहां कैमरे के सामने खाना खाने वाला और जय भीम का नारा लगाने वाला कहीं दलित विरोधी होता है क्या? मैं तो कहता हूँ रविंद्र चौहान जी आप गिरिराज सिंह जी से कहकर इन सब को पाकिस्तान भेज दीजिये।
मुझे तो यह भी याद नहीं पड़ता की आपकी भाजपा के सत्ता में आने से पहले दलित कभी राष्ट्रीय बहस के केंद्र में थे या नहीं। भले ही आपके विरोधी इसकी वजह रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए उकसाना, भाजपा शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं, फेलोशिप पर रोक, दलित कल्याण के बजट में बड़ी कटौती, मनरेगा राशि में कटौती {इस योजना के अधिकाँश लाभार्थी दलित पिछड़े हैं} या समय समय पर आपके नेताओं द्वारा दलित विरोशि बयानों को मानते हों। पर, मैं आपके विरोधियों से इत्तेफाक नहीं रखता। मेरा तो यह मानना है रविंद्र चौहान जी की पहली बार देश में दलित हितैषी सरकार बानी है। क्या इसके लिए हम एक रोहित वेमुला कुर्बान नहीं कर सकते?
हमारे लिए तो यही बहुत है की आपने हमें बहस के केंद्र में ला दिया। इस बार मेरे सूअर भी बहुत खुश हैं। पिछली बार आपकी सरकार के मंत्री आदरणीय वी के सिंह ने हम दलितों की तुलना कुत्ते से की थी तो ये नाराज़ हो गए थे. पर देखिये आपकी वजह से इनका नंबर भी आ ही गया.
खैर, थोड़ा लिखा है , ज्यादा समझिएगा...
मेरे और मेरे सूअरों की तरफ से आपको एक बार फिर से सादर प्रणाम ...
सिर्फ आपका ...मने सिर्फ भाजपा का ..
हीरा डोम ..
प्रस्तुति - डॉ ओम सुधा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
sujhawon aur shikayto ka is duniya me swagat hai