प्रोफ़ेसर डॉक्टर मनीषा बांगड़। देश की प्रमुख लीवर ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट। गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी की सबसे ऊँची पढाई के दौरान जनरल कटेगरी में लगातार टॉपर। बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष। प्रखर वक़्ता। देश-विदेश में ख्याति।
फिल्मों में क्या कभी अनुसूचित जाति के ऐसे किरदार नजर आएँगे? समाज में तो डॉ. मनीषा की तरह के लाखों लोग हैं लेकिन फिल्मों में लापता हैं।
कमर्शियल फिल्मों में दलित के नाम पर कचरा है। आर्ट फिल्म में सूअर चराने वाले।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
sujhawon aur shikayto ka is duniya me swagat hai